Saturday, November 29, 2014

स्कूलस्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

जिम्मेदार पितृत्व अभियान के तहत स्वयंसेवी संस्था समर्पण एवं फेम झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में बसधरवा एवं रतिथम्भाई में स्कूली बच्चों के बीच स्कूलस्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के तहत ज्ञान-विज्ञान क्विज एवं मेरे पापा सबसे अच्छे विषय पर निबंध लेखन कार्यक्रम किया गया
गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, प्रधानाध्यापिका कंचन कुमारी, षिक्षक सुरेन्द्र प्र0 यादव, संजय यादव, रवि कुमार, सीआरपी अभिषेख मंडल, लीला कुमारी, सुरेष कुमार, मेरियन सोरेन, बसंती देवी आदि की उपस्थिति रही। 

Wednesday, November 26, 2014

खेती रोजगार का सषक्त माध्यम : एलडीएम

संस्था समर्पण के द्वारा लोकाई पंचायत भवन में आयोजित एक्सपर्ट मीट कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एलडीएम सुषील कुमार सिन्हा ने कहा कि खेती रोजगार का सषक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि अभी हमलोग मात्र कहने भर के लिए किसान हैं, वास्तविक किसान हुए नहीं हैं। इसलिए मौसम का हमें इंतजार रहता है। उन्होंने किसानों को समेकित कृषि करने की सलाह दी। कहा धान की खेती के अलावे फलदार वृक्षारोपण, निंबू, पपीता, फूल, गौपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मसरूम आदि की यहां अपार संभावनाएं हैं। बड़े पैमाने पर खेती करने के लिए पूंजी कभी बाधक नहीं होगा। इसके लिए बैंक हमेषा सहयोग करने के लिए तैयार है। 

कृषि एक्सपर्ट रामकिसुन प्रसाद ने किसानों को श्रीविधि से खेती करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गोबर का भरपूर उपयोग करें। इससे खेतों में डीएपी या यूरिया देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने किसानों को बीज, खाद, पानी, मौसम, फसल, बीमा और बाजार के नियमों, मूल्यों व सिद्धांतों की जानकारी दी। 
डालसा से जुड़े बालेष्वर राम ने कहा कि नई तकनीक से खेती करने से प्रति एकड़ 50 हजार की आमदनी संभव है। 
मौके पर समाजसेवी बहादुर यादव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तुलसी कुमार साव एवं वार्ड सदस्य विजय यादव ने भी संबोधित किया। संचालन संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू एवं धन्यवाद ज्ञांपन क्लब के अध्यक्ष रघुनाथ दास ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से किषोर दास, दषरथ कुमार दास, टेकनारायण सिंह, संतोष यादव, मुकेष कुमार यादव, सहदेव यादव, शकुन्तला देवी, गीता देवी, अनिल यादव, सुभाष कुमार यादव, मनोज राणा, राजेन्द्र दास, राजू यादव, महेष यादव, अषोक यादव, आषा टोपनो, गांगो यादव, महेन्द्र भुईयां, मेरियन सोरेन, बसंती देवी आदि मौजूद थे। 

Tuesday, November 25, 2014

बाल अधिकारों के संरक्षण में पुरूषों की जिम्मेदार पिता के रूप में भूमिका को लेकर जिलास्तरीय कार्यषाला का आयोजन

समर्पण के द्वारा पंचायत भवन लोकाई में बाल अधिकारों के संरक्षण में पुरूषों की जिम्मेदार पिता के रूप में भूमिका को लेकर जिलास्तरीय कार्यषाला का आयोजन किया गया। कार्यषाला में मुख्य रूप से समाजसेवी बहादुर प्रसाद यादव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तुलसी कुमार साव, राम किसुन प्रसाद सुंडी, वार्ड सदस्य रघुनाथ कुमार दास, संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू आदि उपस्थित थे।  
मौके पर बहादुर प्रसाद यादव ने कहा कि हिंसा व भेदभाव एक सामाजिक समस्या है और इसका समाधान कानून से नहीं, बल्कि समाजिक पहल से संभव है। उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर समानता कायम करना अतिआवष्यक है। इसके लिए पुरूषों को आगे आने की जरूरत है। 
डालसा के तुलसी कुमार साव ने कहा कि पिता की भुमिका सिर्फ पैसा कमाना, संसाधन जुगाड़ करना या घर-परिवार में अनुषासन बनाए रखना नहीं है बल्कि उनकी जबावदेही व जिम्मेदारी इससे इतर भी है। उन्होंने बाल अधिकारों से संबंधित कानूनों व नीतियों की भी जानकारी दी। 
राम किसुन प्रसाद सुंडी ने कहा कि घर या बाहर महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित बचपन व जिंदगी देने के लिए हम परूषों को अपनी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। उन्होंने भेदभाव रहित व हिंसा मुक्त परिवार व समाज बनाने के लिए नौजवानों को आगे आने की बात कही। 
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने विषय प्रवेष कराते हुए कहा कि संस्था जेंडर समानता एवं महिला हिंसा के विरूद्ध पहले महिलाओं के साथ और अब पुरूष वर्ग साथ काम करना प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा कि हर पुरूष हिंसक नहीं हैं, सारे पुरूष हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं। वे महिलाओं के साथ गैर बराबरी, भेदभाव तथा हिंसा के खिलाफ खड़े होना चाहते हैं लेकिन, सामाजिक मूल्यों तथा मान्यताओं के दबाव में खुलकर विरोध नहीं कर पाते हैं। 
षिविर में मुख्य रूप से वार्ड सदस्य सह आरटीआई कार्यकर्ता विजय यादव, काली प्रसाद यादव, अनिल यादव, सुभाष प्रसाद यादव, राजू कुमार, बसंती देवी, मेरियन सोरेन, एच.डी. सिंह, सोनी देवी, करिष्मा कुमारी, शकुन्तला देवी, गीता देवी, मंजू देवी, शांति देवी, आजाद, सोनू, पंकज कुमार आदि उपस्थित थे।

Sunday, November 23, 2014

एक्सपर्ट मीट कार्यक्रम में किसानों को दी गई जैविक खेती, बीज, खाद, पानी, टेक्नीक, बाजार, फसल बीमा की जानकारी ।

संस्था समर्पण के द्वारा बिगहा गांव में गठित जय बजरंग किसान क्लब के सदस्यों के साथ आज एक्सपर्ट मीट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर उपस्थित कृषि एक्सपर्ट रामकिषुन प्रसाद एवं संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने किसानों को जैविक खेती, बीज, खाद, पानी, टेक्नीक, बाजार, फसल बीमा आदि की जानकारी दी। किसुन प्रसाद ने कहा कि हेल्थ और वेल्थ के लिए खेती ही महत्वपूर्ण घोतक है।
लेकिन, जानकारी के अभाव में पैदावार संतोषजनक नहीं है। उन्होंने रसायनिक खाद एवं कीटनाषक के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी।
कार्यक्रम में मुख्यरूप से वार्ड सदस्य हरिषंकर गिरि, संदीप सिंह, रविन्द्र गिरि, युगेष प्रसाद यादव, बसंत सिंह, जितेन्द्र पासवान, शंकर रजक, ललन सिंह, भोला पासवान, राजू सिंह, सनोज यादव आदि ने भाग लिया। 
संचालन अरूण कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञांपन सुरेन्द्र सिंह ने किया। 

Friday, November 21, 2014

जनप्रतिनिधियों एवं पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल होना चाहिए बच्चों से जुड़े मुद्दे

बच्चों से जुड़े मुद्दे काफी महत्वपूर्ण हैं। इनके मुद्दे भी जनप्रतिनिधियों एवं पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल होना चाहिए। मिडिया इस अभियान के हमेषा से सहयोगी व सहयात्री रहे हैं। आगे भी हमारी बस यही अपेक्षा है कि वे बच्चों से जुड़े मुद्दों को जनप्रतिनिधियों तक पहुंचानें में मदद करें। यह बातें समर्पण, क्राई, क्रेज एवं आरजेएसएस द्वारा आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए क्राई के प्रोग्राम ऐसोसिएट मैनेजर सुषांतो चक्रवर्ती ने कही। स्थानीय वर्णवाल धर्मषाला में आयोजित इस प्रेस काॅन्फ्रेंस में उक्त संस्थाओं द्वारा अगामी झारखंड विधान सभा चुनाव 2014 को देखते हुए बाल घोषणा पत्र भी जारी किया गया। 
क्रेज के अभय कुमार सिंह एवं क्राई से जुड़े अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि झारखंड में षिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति बेहद खराब है। बच्चों के लिए जमीनी स्तर पर कार्य नहीं हो पा रहा है। जबकि, बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा वर्ष 1989 में 0-18 वर्ष के बच्चों को जीने का, विकास का, सुरक्षा का एवं सहभागिता का अधिकार प्रदान किया गया है। 
सीडब्ल्यूसी के सदस्य राजकुमार सिन्हा ने कहा कि झारखंड में घोषित विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के बच्चे, जो राज्य के कुल आबादी का 40 प्रतिषत हिस्सा है, के मुद्दों व आवाज को राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों तक पहुंचाना है, ताकि आगामी 5 वर्षो में बच्चों के अधिकारों को मजबूती से लागू किया जा सके।
आरजेएसएस के सचिव मनोज दांगी ने कहा कि प्रदेष के सभी जिलों में विभिन्न संगठनों के माध्यम से हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। कोडरमा में भी यह काम हम संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है। विभिन्न जिलों में एक लाख से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर कराने का लक्ष्य है। उन्होंने बाल अधिकार के लिए बटन दबाने की अपील की।  
मौके पर समर्पण के विजय यादव, मेरियन सोरेन, निर्भय कुल आदि कार्यकर्ताओं की भागीदारी रही।
धन्यवाद ज्ञांपन समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू ने किया।

Friday, November 7, 2014

Meet with Expert Program at Nayitand

Samarpan के द्वारा नईटांड गांव में भारती किसान क्लब के साथ Meet with Expert Program का आयोजन किया गया। मौके पर कृषि एक्सपर्ट रामकिषुन सुंडी ने कहा कि किसान ही देष का रीढ़ है। किसान जितना परिश्रम करेंगे,
हमारा समाज व देष उतना ही आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि आज जनसंख्या जिस गति से बढ़ रहा है उसी रफतार से जमीन के टुकड़े-टुकड़े हो रहे हैं। इस परिस्थिति में हमें कम पूंजी, कम पानी, कम संसाधन एवं कम परिश्रम में ज्यादा फसल उगाने के तकनीक सीखने की आवष्यकता है। उन्होंने श्रीविधि एवं जैविक खेती पर बल दिया। कार्यक्रम को कार्यक्रम समन्वयक आषीष कुमार, मुखिया किषोर साव, खेमन साव आदि ने भी संबोधित किया।

Saturday, October 11, 2014

कार्यषाला में संत षिवकांत सिंह महाराज का जैविक कृषि की महता पर विषेष व्याख्यान

स्वयंसेवी संस्था समर्पण के द्वारा स्वामी विवेकानंद किसान क्लब, पिपचो के सदस्यों के लिए एकदिवसीय आधारस्तरीय उन्मुखीकरण कार्यषाला का आयोजन किया गया। मौके पर पूणे से आये संत षिवकांत सिंह महाराज, का जैविक कृषि की महता पर विषेष व्याख्यान हुआ। कार्यषाला में मुख्यरूप से डालसा के बालेष्वर राम, मीरा कुमारी, संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, कृषि विषेषज्ञ राम किसुन सुंडी, महेन्द्र राणा आदि उपस्थित थे। मौके पर क्लब का कार्यालय का भी उद्घाटन संत षिवकांत सिंह महाराज के द्वारा किया गया।
संत षिवकांत सिंह महाराज ने कहा कि किसान क्लब के जरिये समय पर ऋण की उपलब्धता, तकनीक अंतरण, जागरूकता और क्षमता निर्माण होगा और गांवों का विकास होगा। उन्होंने जैविक कृषि, गौपालन और पर्यावरण सुरक्षा के दिषा में पहल करने पर बल दिया। 
कृषि विषेषज्ञ राम किषुन सुंडी कहा कि किसान क्लब की सक्रिय भागीदारी से गांव से पलायन, बेरोजगारी और कुपोषण मिट सकता है। उन्होंने गाय, माय और धरती की रक्षा करने व सम्मान देने की बात कही। 
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि किसान आज सबसे ज्यादा उपेक्षित है। इस उपेक्षा के खिलाफ हमारा यह किसान क्लब एक प्रेषर ग्रुप के रूप में काम करेगा। 
कार्यक्रम में समाजसेवी कार्यक्रम समन्वयक आषीष कुमार, नारायण शर्मा, रामचंद्र राणा, लालधारी राणा, खेमन साव, धनेष्वर राणा, महेन्द्र कुमार, मेरियन सोरेन, बसंती देवी, सुनिता देवी, चंद्रिका महतो, षिव कुमार शर्मा, देवनारायण शर्मा, दिनेष राम, प्रसादी राणा सहित गांव के 60 महिला-पुरूषों ने भाग लिया।  
एक अन्य खबर के अनुसार संस्था द्वारा नवदीप किसान क्लब, लतबेधवा के किसानों और कृषि विषेषज्ञों का सहमिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर मुखिया सरीता देवी, संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, रामकिषुन सुंडी, अजय सिंह, महादेव सिंह, शत्रुधन सिंह, अनिता देवी, बीएन सिंह, शीला देवी, बलराम सिंह सहित दर्जनों सदस्यों ने भाग लिया।

Thursday, October 9, 2014

आत्मपरिवर्तन से विष्वपरिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन

राजकीय मध्य विधालय इंदरवा (देहाती)एवं म0 वि0 सलैयडीह के किषोर-किषोरियों के बीच पुणे (महाराष्ट्र) से आये संत षिवकांत सिंह महाराज का आत्मपरिवर्तन से विष्वपरिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन समर्पण एवं नई आजादी अभियान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा ही मन, बुद्धि-विवेक है। इसलिए हम सभी आत्मा हैं। मौके पर सभी बच्चों से दुहराया कि मैं आत्मा हॅू। उन्होंने कहा कि यह वाक्य यदि ह्नदय से बोला गया तो मन मे शांति एवं काम करने में रूचि पैदा होगा। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान हास्ययोग का प्रयोग कराया गया। उन्होंने हास्ययोग के फायदों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अपने स्वरूप के प्रति अज्ञानता ही हमारे बीच भ्रम, भय एवं भूत पैदा करता है और सारी समस्याओं का निदान आत्मानुसंधान ही है। उन्होंने कहा कि
आत्मदर्षन ही ईष्वर का दर्षन है, आत्मभक्ति ही ईष्वर की पूर्ण भक्ति है और आत्मश्रद्धा ही निष्काम भक्ति है। उन्होंने बच्चों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब भी दिये।
व्याख्यानमाला में स्कूली बच्चों के अलावे संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, वार्ड सदस्य विजय यादव, बसंती देवी, मेरियन सोरेन, प्रधानाध्यापक सुभाषचंद्र, सलैयडीह के प्रधानाध्यापक सहदेव राम, विजय कु0 विष्वकर्मा, रीतलाल यादव, कालीचरण राम, सुरेष कुमार, वीरेन्द्र शर्मा, रेखा कुमारी, मो0 मुस्ताक, ज्योति कुमारी, नवयुवक संघ के अध्यक्ष छोटेलाल सिंह, षिक्षक विजय यादव, महेष यादव, युगल यादव, सुरेष यादव आदि शामिल हुए।

Wednesday, October 8, 2014

जीवन में लक्ष्य निर्धारण, संयम, धैर्य और शांति जरूरी - संत शिवकांत सिंह महाराज


 स्वयंसेवी संस्था समर्पण एवं नई आजादी अभियान के संयुक्त तत्वावधान में संस्था कार्यालय सुन्दरनगर एवं चितरपुर गांव में पुणे (महाराष्ट्र) से आये संत शिवकांत  सिंह महाराज का व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस व्याख्यानमाला में विषेष रूप से आत्मपरिवर्तन से विष्वपरिवर्तन के दिषा में जाने एवं जीवन जीने की कला को लेकर चर्चा किया गया। श्री महाराज ने कहा कि पहले राजा के घरों से राजा पैदा होते थे, अब ऐसा नहीं है। अब कोई भी इंसान संघर्ष के जरिये राजा या महान बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में हर काम आनंद और शांति के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य निर्धारण, संयम, धैर्य और शांति जरूरी है।
व्याख्यानमाला में मुख्यरूप से संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, डालसा के बालेष्वर राम, वार्ड सदस्य विजय यादव, रंजन यादव, बसंती देवी, मेरियन सोरेन, मीना देवी, सुनिता देवी, रामकिषुन संुडी, मंजू देवी, आषीष कुमार, नारायण शर्मा, पंसस गणेष दास, वार्ड पार्षद अमित अनुराग, अर्चना देवी, शषि देवी, शांति देवी आदि शामिल हुए।


Saturday, September 27, 2014

जीवन में स्थायी खुषी लाने का एक अच्छा माध्यम खेती

संस्था समर्पण के द्वारा न्यू जागृति किसान क्लब, पांडू के सदस्यों का एकदिवसीय आधारस्तरीय उन्मुखीकरण कार्यषाला का आयोजन किया गया। मौके पर तेतरोन के मुखिया रामचंद्र यादव ने क्लब के कार्यालय का भी उद्घाटन किया। मौके पर कृषि विषेषज्ञ राम किषुन सुंडी, झारखंड ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक राम बालक नाथ, पंसस प्रसादी चंद्र राणा, वार्ड सदस्य वैधनाथ, गोविन्द पांडेय एवं कार्यक्रम समन्वयक आषीष कुमार आदि उपस्थित थे। 
कार्यषाला को संबोधित करते हुए कृषि विषेषज्ञ राम किषुन सुंडी कहा कि किसान क्लब यदि बेहतर कार्य किया तो गांव व समाज को हम पलायन, बेरोजगारी और कुपोषण की बीमारी से मुक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में स्थायी खुषी लाने का एक अच्छा माध्यम खेती है। उन्होंने गाय, माय और धरती की रक्षा करने व सम्मान देने की बात कही। उन्होंने श्रीविधि से खेती करने पर बल दिया। 
मुखिया रामचंद्र यादव ने कहा कि किसान आज सबसे ज्यादा उपेक्षित है। इस उपेक्षा के खिलाफ हमारा यह किसान क्लब एक प्रेषर ग्रुप के रूप में काम करेगा। 
शाखा प्रबंधक राम बालक नाथ ने कहा कि दुनिया में आगे निकलने या धनी बनने के लिए किसान बैंक ऋण का सदुपयोग करें। उन्होंने जेएलजी, डब्ल्यूएसएचजी, केसीसी, जनधन योजना एवं अन्य सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी।
विषय प्रवेष कराते हुए संस्था के कार्यक्रम समन्वयक आषीष कुमार ने कहा कि किसान देष की रीढ़ है। इस रीढ़ को सषक्त करने के उद्देष्य से संस्था द्वारा गांव-गांव में किसान क्लब बनाकर सदस्यों को प्रषिक्षित की जा रही है। 
कार्यक्रम में मुख्य रूप से समाजसेवी गोविन्द पांडेय, रामेष्वर राणा, नंदलाल यादव, त्रिभुवन यादव, रामचंद्र पासवान, अर्जून सिंह, भुपत महतो, रामावतार सिंह, बैधनाथ यादव सहित गांव के 40 महिला-पुरूषों ने भाग लिया।  

जीवन में मुसीबत का आना पार्ट आॅफ लाईफ है और उससे मुस्कुराकर बाहर निकलना आर्ट आॅफ लाईफ है

संस्था समर्पण के द्वारा पंचायत भवन लोकाई में आयोजित तीन दिवसीय जीवन कौषल विकास प्रषिक्षण कार्यक्रम ‘‘हम होंगे कामयाब......‘‘ गीत के साथ समापन हो गया। कार्यक्रम के अंतिम दिन के मुख्य अतिथि सलैयडीह स्कूल के प्रधानाध्यापक सहदेव राम ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि नया कुछ करने या सृजन करने के दौरान गलतियां होती है तो यह उनका अधिकार का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि किषोरावस्था में यदि सही मार्गदर्षन मिले तो बच्चों को काबिल बनने से कोई नहीं रोक सकता। 
जिला विधिक सेवा प्राधिकार से जुडे़ तुलसी कुमार साव ने बच्चों के अधिकारों की चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में मुसीबत का आना पार्ट आॅफ लाईफ है और उससे मुस्कुराकर बाहर निकलना आर्ट आॅफ लाईफ है।
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने जीवन कौषल के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाष डालते हुए कहा कि अपने बेहतर जीवन के लिए पेप्सी, कोकाकोला, आईसक्रीम या अन्य नषायुक्त पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नषा का सेवन करने से सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक हानि होती है। 
कार्यक्रम में मुख्य रूप से नारायण कुमार शर्मा, वार्ड सदस्य विजय यादव, मेरियन सोरेन, रौषनी, सूरज, चांदनी, नीतू, प्रिया, ज्योति, महेष, ऋतिक, करण, कविता, पूजा, प्रिया, सुनिता, बसंती देवी, रिंकी कुमारी, चिन्ता कुमारी, प्रिती कुमारी, प्रवीण कुमार, राहूल कुमार, शंकर कुमार, पवन सहित कुल 45 किषोर-किषोरियों ने भाग लिया। 

Tuesday, September 16, 2014

निर्णय की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने, स्कूल को बेहतर करने एवं बच्चों को मुखर और काबिल बनाने के लिए बाल संसद का आयोजन

बाल अधिकार जागरूकता अभियान अंतर्गत संस्था समर्पण के द्वारा पंचायत भवन लोकाई में प्रखंडस्तरीय बाल संसद का आयोजन किया गया। जिसमें इंदरवा एवं लोकाई पंचायत के विधालयों के बाल संसदों ने भाग लिया। संसदीय सत्र के दौरान संसदों ने मध्यान भोजन में गड़बड़ी व अनियमित होने, लोकाई स्कूल के चापानल के पास कीचड़ जमा होने, सलैयडीह एवं लोकाई सहित अन्य कई विधालयों में चहारदिवारी नहीं होने, आंगनबाड़ी के बच्चे सलैयडीह स्कूल में आ जाने, पुस्तक व पोषाक समय पर नहीं मिलने, स्कूलों में खेल सामग्री नहीं रहने, झाडू-डैस्क आदि खरीदने के लिए बच्चों से पैसे लेने, स्कूल कैंपस में जानवर बांधने, मध्यान भोजन करने से पहले साबून की व्यवस्था नहीं होने आदि कई सवाल उठाये गये। काफी चर्चा-विमर्ष के बाद बाल संसदों ने निर्णय लिया कि एक सप्ताह के अंदर यदि एसएमसी, मुखिया एवं प्रधानाध्यापक के स्तर से सवालों का हल नहीं किया गया तो उपायुक्त को लिखित ज्ञांपन सौंपा जायेगा।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने, बच्चों की सहभागिता से स्कूल को बेहतर करने एवं उन्हें मुखर और काबिल बनाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। 

वार्ड सदस्य विजय यादव ने बच्चों को लोकतंत्र में कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका एवं पत्रकारिता की महता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि स्कूल के अंदर की व्यवस्था भी कुछ  इसी तरह है या होना चाहिए। इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने एवं बाल अधिकारों के सरंक्षण के लिए ही बाल संसद का गठन किया गया है। उन्होंने सभी मंत्रियों एवं सांसदों की भुमिका पर विस्तार से चर्चा किया। 
मो0 निसार अहमद ने कहा कि मस्तिष्क ऐसा टेंक है जो कभी भरता नहीं है। सभी किताबों व ज्ञान को मस्तिष्क में रखना एवं ज्ञान को व्यवहार में उतारना चाहिए।धन्यवाद ज्ञांपन मेरियन सोरेन ने किया।

Sunday, September 7, 2014

किसानों को आर्थिक, बौद्धिक व नई तकनीक से लैस करने के लिए चलाया जा रहा है कार्यक्रम

स्वयंसेवी संस्था समर्पण के द्वारा पंचायत भवन ढ़ाब में आदर्ष किसान क्लब के सदस्यों का आधारस्तरीय उन्मुखीकरण प्रषिक्षण दिया गया। इसके पहले मुखिया सुषीला देवी ने क्लब का कार्यालय का उद्घाटन फीता काटकर किया। मौके पर आत्मा से जुड़े उत्प्ररेक राम किसुन सुंडी, डालसा के तुलसी कुमार साव, समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू एवं नारायण विष्वकर्मा आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रामकिसुन संुडी ने कहा कि क्षेत्र में हरित क्रांति लाने के लिए हमें अपने को बदलते हुए विज्ञान व तकनीक से जोड़ना होगा। उन्होंने कई प्रातों में कृषि क्षेत्र में आये बदलाव का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां के किसान अपनी कमजोरियों की वजह से आज उपेक्षित हैं। उन्होंने योजनाओं का लाभ लेने पर बल दिया।


संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि किसान ही देष का रीढ़ है और रीढ़ ही कमजोर हो तो विकास का एक भी मानक पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने सदस्यों को क्लब के संचालन के तरीके, रख-रखाव, ग्राम कोष के फायदे, सक्रिय किसान क्लब के मानक, वितीय संस्थानों व अन्य विभागों से संबंध, लेखा-जोखा के तरीके आदि बिन्दुओं पर प्रकाष डाला।
डालसा के तुलसी कुमार साव ने सरकार की ओर से संचालित योजनाओं व नीतियों की जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को आर्थिक, बौद्धिक व नई तकनीक से लैस करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। किसानों के साथ-साथ अन्य वर्गो को भी इससे लाभ मिलेगा।  
म्ुखिया सुषीला देवी ने कहा कि यह किसान क्लब बेहतर कार्य कर अपना एक नया मिसाल कायम करेगी। नया मिसाल बनाने में हमारा विषेष सहयोग रहेगा। 

Saturday, August 30, 2014

विज्ञान और तकनीक के सहारे किसान कर रहा है तरक्की

समर्पण के द्वारा गम्हरबाद गांव में गठित नवयुवक किसान क्लब का कार्यालय का उद्घाटन उपप्रमुख श्यामदेव यादव ने किया। वहीं, क्लब के सदस्यों का आधारस्तरीय उन्मुखीकरण प्रषिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपप्रमुख श्यामदेव यादव ने कहा कि आज लोग यदि भूखे नहीं मर रहे हैं तो इसका देन कृषि क्षेत्र में विज्ञान व तकनीक का प्रयोग होना है। लेकिन, हर गांव में अभी तक यह तकनीक नहीं आ सका है। समर्पण का यह प्रयास इसी दिषा में है। उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता है।

हमारा अस्तित्व किसानों के बदौलत ही है। लेकिन, आज सबसे ज्यादा उपेक्षित किसान ही हैं। कृषि एक्सपर्ट सहदेव सिंह ने गांव के किसानों को कोसते हुए कहा कि दुनिया बदली मगर गांव के किसान नहीं बदले हैं, यह बड़ी दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि हम कैसे कम पूंजी, कम पानी, कम संसाधन, कम परिश्रम में ज्यादा फसल उगायेंगे, इस तकनीक को शीघ्र सीखने आवष्यकता है। ज्ञान विज्ञान समिति के सचिव जयप्रकाष यादव ने कहा कि किसान क्लब यदि अच्छा काम किया तो भुख से एक भी आदमी नहीं मरेगा और न गांव से कोई पलायन करेगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने सरकार की योजनाओं को गांव तक लाने एवं सामुहिक विकास के बारे में सोचा है, हम समझते हैं वहीं गांव षिक्षित है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में क्लब के सदस्यों को क्लब के संचालन के तरीके, कल्ब के रख-रखाव, लेखा-जोखा, पत्राचार एवं अन्य वितीय संस्थानों के साथ जुड़ाव आदि बिन्दुओं पर प्रषिक्षित किया गया। कार्यक्रम में दर्जनों किसानों ने हिस्सा लिया।

Monday, August 11, 2014

कोडरमा के बच्चों के लिए नहीं हो रहा है कोई सार्थक पहल, आंगनबाड़ी का संचालन भगवान भरोसे

-इन्द्रमणि साहू 
समेकित बाल विकास परियोजना के तहत 0-6 वर्ष के बच्चों के संर्पूण विकास, किषोरियों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को स्वस्थ रखने एवं समुचित पोषण आहार से युक्त करने की जिम्मेवारी सीडीपीओ की होती है। शुरूआती बालपन की देखरेख और पोषण संबंधी सरकार के सभी कार्यक्रम इसी के तहत संचालित होते हैं। बच्चों का ग्रोथ माॅनिटरिंग, कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें एमटीसी रेफर करना, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल सुलभ शौचालय की व्यवस्था करना, जनसंख्या के हिसाब से आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना कराना बाल विकास परियोजना की जबाबदेही होती है। लेकिन, कोडरमा का हाल ही कुछ ओर है। यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट विजय यादव (Koderma) ने एक बार फिर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कोडरमा पर आधा-अधूरा सूचना देने का आरोप लगाया है। उन्होंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी मंजू रानी स्वांसी को एक पत्र लिखकर पूरी व सही सूचना दिलवाने की अपील की है। बताते चलें कि श्री यादव ने पिछले दिनों बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, कोडरमा से सूचनाधिकार अधिनियम 2005 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मषीन, कुपोषित बच्चों की संख्या, आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल सुलभ शौचालय की उपलब्धता व स्थिति, भाड़े पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों सूची, जनसंख्या के आधार पर और कितने आंगनबाड़ी केंद्रों की आवष्यकता संबंधी जानकारी मांग किया था। फिलहाल, जो सूचना मिला है वह अपने आप में चैकाने वाला है। वहीं कोडरमा के बच्चों के प्रति विभाग की सक्रियता का पोल खोलता है। 
कोडरमा में नहीं हो रहा है ग्रोथ माॅनिटरिंग- आंगनबाड़ी की 6 सेवाओं में से नियमित स्वास्थ्य जांच भी शामिल है। इसके तहत 6 साल के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं की आंगनबाड़ी केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा फ्री में नियमित स्वास्थ्य जांच एवं जरूरी दवाएं दी जानी है। नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान स्वास्थ्य कार्ड भी बनाया जाता है। इसमें हर बार वजन लेकर उसे अंकित किया जाता है। इस दौरान अगर किसी बच्चे में पोषण की कमी पायी जाती है या उसे बीमार पाया जाता है, तो उसे रेफरल सेवा दी जाती है। इसमें उसे अतिरिक्त पोषण तत्व, दवा आदि दिये जाने का प्रावधान है। जरूरत पड़ने पर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। ताकि, उसे हर हाल में कुपोषण और बीमारी से बचाया जा सके। लेकिन, कोडरमा में यह व्यवस्था पूरी तरी लचर हे। यहां कुल 168 आंगनबाड़ी केंद्र है। जिसमें से 9 जुलाई, 2007 को 117 आंगनबाड़ी केंद्रों को वजन मषीन उपलब्ध कराया गया था। फिलहाल, 11 आंगनबाड़ी केंद्रों को छोड़कर 106 आंगनबाड़ी केंद्रों पर वर्षो से वजन मषीन खराब है। शेष 51 आंगनबाड़ी केंद्र को आज तक वजन मषीन उपलब्ध ही नहीं कराया गया है। विभाग को इन सभी बातों की जानकारी है लेकिन, विभाग द्वारा नये वजन मषीन उपलब्ध कराने को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की है और न ही वजन मषीन को लेकर कभी उच्चाधिकारियों को कोई पत्र निर्गत किया गया है। ऐसे में बच्चों को ग्रोथ माॅनिटरिंग भला कैसे संभव है। पिछले दिनों राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डा0 सुनिता कत्यायन के कोडरमा विजिट कार्यक्रम में भी यह मामला उठा था और उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निदेष दिया था कि सभी केद्रों पर शीघ्र वजन मषीन उपलब्ध कराते हुए तरीके से आंगनबाड़ी का संचालन कराया जाय। लेकिन, निदेष का कोई प्रभाव आला-अधिकारियों पर नहीं पड़ा। 
सीडीपीओ कार्यालय में नहीं है कुपोषित बच्चों की अपडेट सूचीः वृन्दा निवासी विजय यादव ने कोडरमा प्रखंड के कुपोषित बच्चों की सूची वर्ष 2012 से लेकर अब तक की मांग की लेकिन, उन्हें 51 बच्चों को छोड़कर जो सूची उपलब्ध कराया गया है वह 2001 का है। 51 बच्चों की सूची में भी 20 बच्चों के माता-पिता का नाम नहीं है और न ही बच्चा का उम्र। ऐसे में सिर्फ बच्चों के नाम से स्पष्ट है कि बच्चा का नाम यूं ही लिख लिया गया है। 
कोडरमा में एक भी केंद्र में नहीं है बाल सुलभ शौचालयः नियमानुसार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बाल सुलभ शौचालय होना चाहिए। लेकिन, कोडरमा के एक भी आंगनबाड़ी केंद्र पर बाल सुलभ शौचालय नहीं है। सीडीपीओ को इस बात का पता होने के बाद भी उन्होंने अभी तक बाल सुलभ शौचालय के लिए कभी कोई पत्राचार नहीं किया है। ऐसे में, बाल अधिकारों और बाल स्वास्थ्य के प्रति अधिकारी कितने गंभीर हैं इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 
बच्चों के अनुपात में और कितने आंगनबाड़ी केंद्र की आवष्यकता है इसकी भी सूचना नहीं है सीडीपीओ कोः सुप्रीम कोर्ट के आदेषानुसार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन एवं सभी केंद्र सभी सुविधाओं से युक्त होना चाहिए। लेकिन, कोडरमा में ऐसा कुछ नहीं है। अभी भी यहां 168 आंगनबाड़ी केद्रों में से 48 केंद्र भाड़े पर संचालित है और 51 केंद्र का अपना भवन नहीं है। और तो और, जनसंख्या और बच्चों के अनुपात एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेषानुसार ओर कितने आंगनबाड़ी केंद्र की आवष्यकता है इसकी भी सूचना सीडीपीओ कार्यालय में नहीं है। सिर्फ आठ नये केंद्रों का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु भेजा गया है। इससे स्पष्ट है कि कोडरमा में बाल पंजी का निर्माण या बाल सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा हैं। 
इन सभी कमियों के बावजूद यदि यहां आंगनबाड़ी संचालित है तो संबंधित आला-अधिकारियों पर उंगली उठना स्वाभाविक है। 
आंगनबाड़ी के संचालन को बेहतर करने की मांग
इधर समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू ने आंगनबाड़ी की सभी 6 सेवाओं को दुरूस्त करने एवं आंगनबाड़ी के संचालन को बेहतर करने की मांग उपायुक्त एवं मंत्री अन्नपुर्णा देवी से की है।  

Saturday, August 2, 2014

डोमचांच के जंगल क्षेत्र में बसे गांवों में व्यापक जागरूकता, संगठन निर्माण और एडभोकेषी कार्यक्रम चलाने की सख्त जरूरत

पिछले दिनों बंगलोर से मुक्त कराये गये 9 बच्चों को पुर्नवासित किये जाने एवं बाल व्यापार से जुड़े मामलों को लेकर हमारा follow up जारी है। कुछ तथ्य इस प्रकार हैः
 Ø जिला कोडरमा में बाल कल्याण समिति दिनांक 09.03.2013 से सक्रिय नहीं है। गठन हेतु संबंधित पदाधिकारियों/उच्चाधिकारियों को ज्ञांपन सौंपा गया है।
 Ø  बहुत दवाब बनाने के बाद जिला प्रषासन की टीम बंगलोर से बच्चों को लेकर 7 मई, 2014 को लौटी।
 Ø  वापस लाये गये सभी बच्चों का पुनर्वास किये गये बगैर अभिभावकों को सौंप दिया गया।
 Ø  बच्चों का पुनर्वास की व्यवस्था नहीं होने से संभावना है कि ये बच्चे फिर बाहर काम करने चले जायें। जिससे उनका बचपन और बाल अधिकारों का खतरा है। इसी को ध्यान में रखते हुए एवं बच्चों को प्रति जिला प्रषासन को जबाबदेह बनाने हेतु कई बार संबंधित पदाधिकारियों (जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, बाल संरक्षण पदाधिकारी, डोमचांच थाना, उपायुक्त कोडरमा) से वार्ता की गयी। कोई विषेष पहल सक्रियता नहीं होते देख 12 मई, 2014 को सूचनाधिकार का प्रयोग किया गया।
 Ø  सूचनाधिकार का आवेदन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को मिलते ही उनमें तिलमिलाहट आई और उन्होंने दिनांक 15 मई, 2014 को उपायुक्त, कोडरमा से भेंट कर सूचनाधिकार के तहत पूछे गये प्रष्नों को लेकर वार्ता किया। 
 Ø  फिर आनन-फानन में 21 मई, 2014 को उपायुक्त एवं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से डोमचांच के बीडीओ को पत्रांक 265/21 मई, 2014 के द्वारा निदेष जारी किया कि बंगलोर से वापस लाये गये बच्चों के माता-पिता को सरकारी लाभ से लाभान्वित करें। वहीं पत्रांक 266/21 मई, 2014 के द्वारा जिला षिक्षा अधीक्षक, कोडरमा को निदेष दिया कि बंगलोर से वापस लाये गये बाल मजदूरों को सरकारी स्कूलों में नामांकन करायें ताकि षिक्षा अधिकार कानून का पालन किया जा सके। 
 Ø  हमलोग फिर जिला षिक्षा अधीक्षक एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी से जानकारी मांगें हैं कि उन्होंने उक्त आदेष/निदेष के आलोक में क्या कदम उठाया। बच्चें कौन सा स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, बच्चे नियमित स्कूल रहे हैं या नहीं, बच्चों के माता-पिता को किस योजनाओं सरकारी लाभ से जोड़ा गया।
 Ø  डोमचांच थाना में प्रतिनियुक्त बाल संरक्षण पदाधिकारी से भी जानकारी मांगे हैं कि उन्होंने इस मसले को लेकर क्या-क्या कदम उठाया है।
लेकिन, जब मैं दिनांक 25 जुलाई, 2014 को अपने सहयोगी साथी तुलसी कुमार साव के साथ बच्चों से मिलने गांव गया और वर्तमान हालात टटोलने की कोषिष की तो मामला कुछ और ही निकला। जो कुछ इस प्रकार हैः संबंधित तथ्यों पर आधारित फोटोग्राफ्स संलग्न है।
1.  दिनेष कुमार तुरी पिता सोमर तुरी का नामांकन 0 0 वि0 तुरियाटोला, बंगाखलार, डोमचांच में 5वीं कक्षा में है। पिछले 9 माह से दिनेष बंगलौर में कार्य कर रहा था, समर्पण एवं जिला प्रषासन के सहयोग से उन्हें 7 मई 2014 को वापस लाया गया है। लेकिन, ताज्जूब की बात यह है कि विधालय रजिस्टर के मुताबिक दिनेष विधालय में एक दिन भी गैर हाजिर नहीं है। रोज का हाजिरी बना पाया गया। 

2. फिलहाल, दिनेष के जांघ में घाव हो गया है। जब से बंगलौर से आया है स्कूल नहीं गया है और ही उन्हें स्कूल जाने के लिए किसी ने प्रेरित किया है। एसएमसी के अध्यक्ष श्री रामदेव तुरी ने कहा कि हम इन्हें रोज स्कूल जाने के लिए बोलते हैं पर सुनता ही नहीं है।
3. उक्त विधालय में कुल नामांकित बच्चों की संख्या 91 हैं पर दिनांक 25 जुलाई 2014 को उपस्थिति 30 बच्चों की थी। जिसमें ज्यादातर बच्चे आंगनबाड़ी  के थे। फोटो देखकर भी आकलन किया जा सकता है।
4. उक्त विधालय का दूसरा कक्ष लकड़ी से भरा पाया गया। 
5. उक्त विधालय को 6 साल पहले अतिरिक्त कमरा निर्माण के लिए आवंटन भेजा गया है। Building बना भी पर आधा-अधूरा और आवंटन की राषि समाप्त हो गया। Building कब पूरा होगा और कब से पढ़ाई शुरू होगा इसकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं। फोटो देखकर भी आकलन किया जा सकता है। 
6.  आज तक BEEO या अन्य कोई अधिकारी का आगमन इस विधालय में नहीं हुआ है।
7. दिनेष के पास स्कूल ड्रेस है और ही किताबें स्कूल जायें भी तो कैसे? लेकिन, षिक्षक बताते हैं कि हमने उसे ड्रेस दिया है और किताबें भी।
8. रोज की तरह दिनांक 25 जुलाई 2014 को भी दिनेष के पिता और मां scrap Mica चुनने जंगल गयी है।
9. हम दोनों इसी गांव के भुला टोला गये जितेन्द्र भुला पिता अनिल भूला से मिलने। पर घर में ताला लगा पाया। उनके पिता अनिल भूला पड़ोसी के घर के बाहर शराब पीकर मदहोष सोया पड़ा था। अगल-बगल से पता चला कि उनकी मां और जितेन्द्र जंगल गया है ढिबरा चुनने। कब घर आयेगा नहीं मालूम।

10. इस टोला के बच्चों के लिए स्कूल बना है। लेकिन, जब से स्कूल बना है, आज तक खुला ही नहीं है। यहां 2 षिक्षक प्रतिनियुक्त हैं 1. सुरेष यादव-ढाब और 2. मुरली मेहता-बेहराडीह। लेकिन, उक्त दोनों षिक्षक महीने में एक-आध बार आते हैं और लौटकर चले जाते हैं। यह जानकारी उसी गांव के निर्मलिया देवी, पतिया मोसेमात , चंदन, नरेष और सनोज कुमार ने दिया।
11. इस टोला में अर्द्धनिर्मित स्कूल, किचेन शेड और शौचालय तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता भी नहीं है। फोटो देखकर आसानी से आकलन किया जा सकता है।
12.  जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, कोडरमा के पत्रांक 07 दिनांक 24.06.2014 के द्वारा बंगलूरू से वापस लाये गये बच्चों के अभिभावक को इंदिरा आवास देने का निदेष दिया गया है। यह पत्र हमें बंगाखलार के पंचायत सेवक के यहां देखने को मिला। लेकिन, उस पत्र में बच्चा और अभिभावक को जो पता दिया गया है उसमें अधिकांष पता गलत है। मैंने सही पता देकर फिलहाल पंचायत सेवक को तो सुलझा दिया है परंतु प्रषासन की गैर जिम्मेदारना हरकत अपनाने का यह सबूत अपने आप में काफी है।  पत्र संलग्न है।
13. नावाडीह के मुकेष हांसदा पिता चारू हांसदा से मिलने ताजा स्थिति जानने उनका घर गये। हांसदा घर पर ही अपने बारी में कुछ काम करते पाये गये। उनसे पुछा गया कि स्कूल जाते हो तो उन्होंने कहा-भैया स्कूल यहां है ही नहीं, तो जायेंगे कहां? उन्होंने हमलोगों को ले जाकर अपना स्कूल दिखाया, देखकर भौचक रह गये। इस विधालय में 2 षिक्षक प्रतिनियुक्त हैं 1. यादव और 2. मनोज प्र0 यादव। लेकिन, स्कूल कभी खुलता नहीं है। बनकर तैयार भी नहीं हुआ और पैसा खत्म हो चुका है। इसी गांव के फागू हांसदा, महेष हांसदा, उमेष हांसदा, संजय हांसदा, वार्ड सदस्य तालो हांसदा, महेन्द्र, मुकेष आदि ने बताया कि यहां आंगनबाड़ी है और स्कूल। स्कूल है भी तो किस काम का? जब खुलता ही नहीं है। आवाज खूब उठाये पर कुछ हो तब तो? थक-हारकर बैठ गये हैं। स्कूल खोलवा दीजिए, बड़ी कृपा होगी।
14. अहराई गांव के कृष्णा कुमार पिता षिबू हेम्ब्रोम से मिलने उनका घर पहुंचा। उस दिन वह घर पर ही मिला। लेकिन, हर रोज वह रोड़ निर्माण में काम करने जाता है। स्कूल नहीं जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि स्कूल खुलेगा तब जायेंगे। स्कूल में 2 टीचर है लेकिन, उनका आने-जाने, खुलने-बंद होने कुछ पता ही नहीं चलता है। कृष्णा का नाम 0 प्रा0 वि0 लेवड़ा में नामांकित है। 2 दिन स्कूल गया भी, स्कूल में 2-3 बच्चे मात्र पहुंचा था। लेकिन, वहां उसे ड्रेस मिला और ही किताब। तीसरा दिन स्कूल गया तो स्कूल बंद मिला। उस दिन से कृष्णा स्कूल जाना बंद कर दिया और रोड़ निर्माण में दिहाड़ी खटने लगा। जहां उन्हें प्रतिदिन 200 रूपये मिलता है।
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15. कृष्णा कुमार के पिता षिबू हेम्ब्रोम जंगल से लकड़ी लाकर खाट आदि बनाकर बेचते हैं और किसी तरह गुजारा करते हैं। कृष्णा की मां  शांति हांसदा ने बताया कि इनके पिता अक्सर बीमार रहते हैं। ईलाज के पैसे नहीं हैं। बेटे काम नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या?
16. फिर हमदोनों कोबराबूट गांव के पवन कुमार पिता मानिक तुरी से मिला। तबीयत खराब रहने के कारण आज वह ढिबरा चुनने नहीं गया था। घर पर उनकी छोटी बहन और पवन था। मां और पिताजी अपने अन्य बेटे-बेटियों के साथ ढिबरा चुनने जंगल गये हुए हैं। 
17. पवन कुमार ने पहले तो बताया कि हम स्कूल जाते हैं। लेकिन, बाद में बोला कि स्कूल में पढ़ाई होती ही नहीं, तो वहां जाने से क्या फायदा? इन्हें स्कूल की ओर से पिछले साल ही किताब और ड्रैस मिला है। फिलहाल ड्रैस तो इनके पास नहीं है पर किताबें हैं।
18. दिनेष बोलने में काफी तेज है और समझदार भी। उन्होंने अपने घर की हालत बताया। फोटो दिखाया और कहा मेरे बड़े भाई लक्ष्मण तुरी उम्र 14 मेरे तरह ही काम करने दिल्ली गया था। पिछले 2 साल से दिल्ली में लापता है। नावाडीह के सुरेष तुरी उन्हें लेकर दिल्ली गया था। आज तक लौटा है और कुछ अता-पता है।
19. पुलिस-प्रषासन में रपट लिखवाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि पिताजी यदि एक दिन ढिबरा चुनने नहीं जायेंगे तो हमलोग खायेंगे क्या? पुलिस-प्रषासन थोड़े हमारे भाई को ढुंढ़कर ला देंगे। आपलोग थे कि हमलोग 9 लोग बंगलौर से वापस लौट आये।
20. कमौवेष अन्य बच्चों की भी हालत इसी तरह है। इस इलाके में स्कूलों आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन मात्र कागज पर हो रहा है। proper monitoring के अभाव में और जिला प्रषासन राजनेताओं के उपेक्षापूर्ण रवैयों के कारण डोमचांच के जंगल क्षेत्र में बसे गांवों बच्चों की स्थिति आज ऐसी बनी हुई है।
21. क्षेत्र में व्यापक जागरूकता, संगठन निर्माण और एडभोकेषी कार्यक्रम चलाने की सख्त जरूरत है।
22. इस क्षेत्र बच्चों की स्थिति भी सुधरेगा, उनके भी अच्छे दिन आएंगे इस आषा उम्मीद में ........... !!!! 
Indramani Sahu,
Secretary, Koderma