Tuesday, January 10, 2017

‘‘पंख-पढ़ना अब नहीं कठिन है‘‘ कार्यक्रम का शुभांरभ.....

स्वयंसेवी संस्था समर्पण एवं झारखंड षिक्षा परियोजना  के संयुक्त तत्वावधान में शहरी अभिवंचित बच्चों को विधालय से जोड़ने हेतु ‘‘पंख-पढ़ना अब नहीं कठिन है‘‘ नामक कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया। इसके लिए आज सीएच हाई स्कूल झुमरी तिलैया से जागरूकता रथ निकाली गयी। यह रथ 31 मार्च तक झुमरी तिलैया के नगर परिषद एवं नगर पंचायत कोडरमा के सभी वार्डो में जाकर अभिवंचित एवं अनियमित बच्चों को विधालय से जोड़ने, षिक्षा हेतु उचित वातावरण बनाने, पारंभिक षिक्षा पूर्ण करने हेतु माता-पिता, अभिभावक एवं जनसाधारण को संवेदनषील बनाने, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, वार्ड पार्षदों को जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया जायेगा।
‘‘पंख-पढ़ना अब नहीं कठिन है‘‘ नामक जागरूकता रथ को जिला षिक्षा अधीक्षक प्रबला खेस, बीईइओ चंडीकरण राय, एपीओ केके चांद, एपीओ उज्जवल मिश्रा, संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, चाइल्डलाइन के समन्वयक तुलसी कुमार साव आदि ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इसके पूर्व पंख कार्यक्रम की सफलता को लेकर स्कूल सभागार में एक कार्यषाला आयोजित हुई। कार्यषाला के मुख्य अतिथि जिला षिक्षा अधीक्षक प्रबला खेस ने कहा कि षिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को गुणवतापूर्ण प्रारंभिक षिक्षा पाने का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जो माता-पिता अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं या जो होटलों में बच्चों से काम करवाते हैं ऐसे माता-पिता व नागरिक को धिक्कार है।
प्रखंड षिक्षा प्रसार पदाधिकारी चंडीकरण राय ने कहा कि जिले के शहरी क्षेत्र के झुग्गी-झोपड़ी वाले क्षेत्र में आज भी अधिकांष बच्चे विधालय से बाहर हैं एवं वे होटल, रेलवे-स्टेषन, बस सटेंड आदि स्थानों पर गैर वाजिक कार्याे में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को ही षिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु यह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इस पुनित कार्य में हम सभी अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन करें। चुंकि, बच्चे ही देष का भविष्य हैं।
एपीओ केके चांद एवं संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि षिक्षा की महत्ता को लेकर समर्पण की टीम, चाइल्डलाइन एवं जागरूकता रथ इस बार झुग्गी-झोपड़ियो तक पहंुचेगी। यह सरकार, संस्था एवं जिला प्रषासन का अनोखा कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि विधालयों में सुविधाओं की भरमार है। इसका लाभ हर बच्चों को मिले इस कार्यक्रम का यही उद्देष्य है।