Tuesday, June 25, 2013

नईटांड गांव में भारती किसान क्लब का उद्घाटन

स्वयंसेवी संस्था समर्पण, नाबार्ड एवं स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के जयनगर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में 25 जून को नईटांड गांव में भारती किसान क्लब का उद्घाटन किया गया। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में जिप सदस्य रेखा देवी, विषिष्ठ अतिथि के रूप में एसबीआई जयनगर शाखा प्रबंधक सत्यम षिवम सुन्दरम, मुखिया किषोर साव, समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू, प्रखंड समन्वयक आषीष कुमार सोनी, बेको मुखिया प्रतिनिधि मो0 इस्लाम अंसारी आदि उपस्थित थे। क्लब कार्यालय का उद्घाटन फीता काटकर किया गया।
मौके पर आयोजित उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए जिप सदस्य रेखा देवी ने कहा कि क्लब यदि सक्रिय हुआ तो किसान अपने जमीन से फसल नहीं, बल्कि सोना उगायेंगे। उन्होंने कहा कि परिश्रम ही सफलता की पूंजी है। किसान जितना परिश्रम करेंगे, हमारा समाज व देष उतना ही आगे ब-सजय़ेगा।
शाखा प्रबंधक सत्यम षिवम सुन्दरम ने कहा कि क्लब के गठन के साथ ही इनके सदस्यों पर एक बड़ी जिम्मेवारी आन पड़ी है। अब इस क्लब को सभी किसानों के हित में काम करना एवं पहचान कायम करना है। उन्होंने कहा कि बैंकों के माध्यम से किसानों को समय≤ पर ऋण मिलता ही है, जरूरत है उस ऋण का सदुपयोग करना। यदि किसान ऋण का सदुपयोग कर लिया तो निष्चित रूप से किसानों का भला होगा। क्षेत्र का विकास होगा। मुखिया किषोर साव ने कहा कि हमारा यह किसान क्लब जिला का एक माॅडल किसान क्लब बनेगा। उन्होंने कहा कि किसान आज सबसे ज्यादा उपेक्षित है। इस उपेक्षा के खिलाफ हमारा यह किसान क्लब एक प्रेषर ग्रुप के रूप में भी काम करेगा।
विषय प्रवेष कराते हुए संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि खेतों और खलिहानों के जरिए किसानों के चेहरे पर हरियाली व खुषहाली लाने के मकसद से गांव-ंउचयगांव में किसान क्लब का गठन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान ही देष का री-सजय़ है। किसान क्लब को संस्था, बैंक और नाबार्ड द्वारा समय≤ पर आर्थिक, तकनीकी व वैचारिक सहयोग प्रदान करेगी। मुखिया प्रतिनिधि मो0 इस्लाम अंसारी ने कहा कि आज जनसंख्या जिस गति से ब-सजय़ रहा है उसी रफतार से जमीन के टुकड़े-ंउचयटुकड़े हो रहे हैं। इस परिस्थिति में हम कैसे कम पूंजी, कम पानी, कम संसाधन, कम परिश्रम में ज्यादा फसल उगायेंगे इसे सीखने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि किसान क्लब यदि अच्छा काम किया तो भुख से एक भी आदमी नहीं मरेगा।
समारोह को जिप सदस्य प्रतिनिधि अरूण कुमार राणा, आषीष कुमार सोनी, सुनिल कुजूर, दषरथ प्रसाद तिवारी, बज्र किषोर साव आदि ने भी संबोधित किया। संचालन राजेष कुमार एवं धन्यवाद ज्ञांपन रामेष्वर साहू ने किया।


Friday, June 21, 2013

यहां के 70 प्रतिषत जनसंख्या की आजीविका कृषि पर आधारित है।

जिला कृषि पदाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि यहां के 70 प्रतिषत जनसंख्या की आजीविका कृषि पर आधारित है। यहां ज्यादातर खेती वर्षा पर निर्भर है। इसलिए वर्षा पानी का संरक्षण एवं खेती करने के बेहतर और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर हम अपने एवं समाज को सुदृ-सजय कर सकते है। उन्होंने किसानों को नये-नये तकनीक के जरिए खेती करने का सलाह दिया।

तीन किसान क्लबों के लिए आधारस्तरीय परिचयात्मक प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

स्वयंसेवी संस्था समर्पण, नाबार्ड एवं बैंक आॅफ इंडिया के पिपचो एवं जयनगर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में 20 जून 2013 को कृषि विज्ञान केंद्र, जयनगर में तीन किसान क्लब का आधारस्तरीय परिचयात्मक प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में ज्ञानोदय किसान क्लब, बेहराडीह, यादव किसान क्लब, भुवालडीह एवं हुसैन किसान क्लब, गरचांच के लगभग 40 सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला कृषि पदाधिकारी सुरेन्द्र सिंह, नाबार्ड के डीडीएम भास्कर मृधा, केवीके के कार्यक्रम समन्वयक डा0 विनय कुमार सिंह एवं बैंक आॅफ इंडिया के जयनगर शाखा प्रबंधक केसी दास आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रजवल्लित कर किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि यहां के 70 प्रतिषत जनसंख्या की आजीविका कृषि पर आधारित है। यहां ज्यादातर खेती वर्षा पर निर्भर है। इसलिए वर्षा पानी का संरक्षण एवं खेती करने के बेहतर और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर हम अपने एवं समाज को सुदृ-सजय कर सकते है। उन्होंने किसानों को नये-नये तकनीक के जरिए खेती करने का सलाह दिया।
डीडीएम भास्कर मृधा ने कहा कि किसान क्लब गांव के लिए एक छोटी ईकाई जरूर है। लेकिन, खेती जगत के लिए काफी महत्वपूर्ण ईकाई है। किसान क्लब जितना सषक्त व जागरूक होगा, खेती व्यवस्था उतनी ही सुदृ-सजय और स्थायी होगा। उन्होंने स्वावलंबी और स्वाभिमानी बनने के लिए किसान क्लब को आगे आने का अहवान किया। डा. विनय कुमार सिंह ने कहा कि भारत सरकार द्वारा किसानों व समूहों के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे है। सब्जी, फल-फूल, बकरी पालन, मषरूम आदि का निःषुल्क प्रषिक्षण प्राप्त कर अपने जीविकोपार्जन को सरल और आसान बना सकते हैं। उन्होंने केवीके से सभी किसानों को संपर्क बनाए रखने की बात कही। शाखा प्रबंधक श्री दास ने कहा कि किसानों को आज तकनीकी ज्ञान हासिल कर आधुनिक तरीके से खेती करने की आवष्यकता है। उन्होंने केसीसी एवं बैंक लोन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि डिफोलटर नहीं होने पर बैंक किसानों हमेषा लोन देती रहती है। इससे किसानों को आगे ब-सजय़ने में सहायता मिलती है। महाजनों एवं पूंजीपतियों के चगंुल में फंसने से बचाव होता है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में लेखा व कार्यवाही पंजी का संधारण, क्लब के क्रियाकलाप, दस्तावेजीकरण एवं व्यवहारिक प्रषनावली पर चर्चा किया गया। कार्यक्रम में मुख्यरूप से मेरियन सोरेन, सुनिता देवी, बसंती देवी, अजमल खां, मो0 सुलेमान, अनवर हुसैन, एजाज अहमद, रामावतार सिंह, धनेष्वर, इम्तियाज अंसारी, रंजीत कुमार रजक, अरविन्द कुमार यादव, महेष यादव, रामचन्द्र यादव, रामू यादव सहित 40 किसान उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू एवं धन्यवाद ज्ञापंन प्रखंड समन्वयक आषीष कुमार ने किया।

Tuesday, June 11, 2013

लोभ-प्रलोभन देकर ठगी करने वाली महिला को धर-दबौचा महिलाओं ने

एक समय था जब ठगी जैसा घृणित कार्य ज्यादातर पुरूष वर्ग करते थे। लेकिन, समय के बदलते तेज रफ्तार ने न सिर्फ लोगों के विचार बदले हैं बल्कि, काम और व्यवहार भी बदल दिये हैं। जो काम पहले पुरूष वर्ग करते थे वही काम अब एक हद तक महिलाएं करने लगी हैं। चाहे उन्हें जीविकोपार्जन के लिए मजबूरी में ही क्यों न करना पड़े। कुछ ऐसा ही एक मामला बीते दिनों कोडरमा में देखने को मिला। वह भी क्रेज के अपने ही कार्यक्षेत्र में। यानि, इंदरवा, लोकाई, करमा एवं महुंडरा में। हुंआ यूं कि आषा नाम की एक महिला उक्त गांव पहुंची। क्रेज एवं समर्पण के द्वारा गठित महिला मंडलों से उन्होंने संपर्क स्थापित किया। उन्होंने नव भारत जागृति केंद्र नामक संस्था से जुड़े होने का अपना परिचय दिया। उन्होंने महिलाओं का हाल-चाल पुछने के साथ-साथ, तरह-तरह के लोभ-प्रलोभन एवं सपने दिखाना प्रारंभ किया। कहा-महिला मंडल बने इतने सालों के बाद भी आपलोग कुछ कर क्यों नहीं रहे हैं। महिलाओं ने पुछा, क्या करें, कुछ मिले तब तो। उन्होंने महिलाओं की कमजोरी भांफते हुए अपना पासा फैंकना प्रारंभ किया। कहा-हम आपलोगों को बैंक से या फिर नव भारत जागृति केंद्र से लोन दिला देंगे, इंदिरा आवास, कुंआ, जाॅब कार्ड या साथी संस्था से महिला मंडलों को मिलने वाले टीबी उन्मूलन के लिए 10,000/रूपये दिला देंगे। जिसे लौटाने की जरूरत नहीं, बल्कि, गांव में मिटिंग वगैरह करके खर्च दिखाना पड़ेगा। सलैयडीह, इंदरवा, नावाडीह, बेकोबार, Jhaरीटांड आदि गांवों में मैंने यह सब कुछ दिलाया है। उन्होंने अपनी मीठी-मीठी बातों में महिलाओं का मन बहुत जल्दी मोह लिया। आखिर मन मोहित हो भी क्यों न। आज के तारीख में कौन नहीं चाहता है धनी बनना। आखिर हुआ भी वही। उन्होंने इस फैसिलिटी के लिए 5,000/रूपये की डिमांड रखा। जिसे महिला मंडल के सभी सदस्यों ने मिलकर दे दिया। आषा मन ही मन खुष हो गया। उन्होंने यह काम न सिर्फ महुंडरा में किया। बल्कि, करमा के महिलाओं से भी 7,000/रूपये लिया। कुछ ही दिन बात यह बात मु-हजये एवं बसंती देवी को मालूम हुआ। हमलोगों ने गांव में मिटिंग किया एवं ठगी हो जाने का सूचना दिया। कहा कि इतना सबकुछ समjhaने-बु-हजयाने, षिविर-सेमिनार, कार्यषाला आदि में हिस्सा लेने के बाद भी आपलोग ठगी के षिकार कैसे हो गये। फिर महिलाओं में जोष और गुस्सा आया। महिलाओं ने अपना पैसा वापस पैसा पाने के लिए मुहिम चलाने का संकल्प लिया। मिलकर उनका घर जाने का तिथि तय किया गया। बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार सभी महिलाएं 8 बजे सुबह आषा के घर गये। वहां जाकर गांव वालों के साथ सबकुछ बताया। गांववालों ने भी कहा कि इनका शुरू से यही आदत रहा है। जिस किसी का भी पैसा इन्होंने लिया है उसे आज तक वापस नहीं किया है। इतना सुन कर महिलाओं ने आषा पूनम को घेर लिया और पैसा वापसी के लिए दवाब बनाना शुरू किया। चारों ओर से घिर जाने के बाद एवं उनके पति को भी इस बात की जानकारी देने के बाद आषा ने महिलाओं को लिया हुआ पैसा वापस करने की बात कही। एक सप्ताह का मौहलत लिया।
एक सप्ताह के बाद तय तारीख को भी उन्होंने पैसा वापस नहीं किया। तत्पष्चात महिलाओं ने फिर संगठित होकर उनका घर जाकर उनपर दवाब बनाया। थाना-पुलिस एवं पंचायत बुलाने की बात कही। तरह-ंउचयतरह के दवाब दिये। महिलाओं को गुस्सा एवं बात आगे ब-सजय़ते देख आषा ने महंुडरा के महिलाओं को पैसा वापस कर दिया। जिसका नेतृत्व कपुरवा देवी एवं चमेली देवी ने किया।
महिलाओं के इस पहल जहां एक ओर महिलाओं में अपनी संगठित शक्ति और आत्मविष्वास का एहसास हुआ वहीं करमा, इंदरवा, -हजयरीटांड एवं अन्य गांवों के महिलाओं ने भी महुंडरा के महिलाओं से प्ररेणा लेकर संगठित प्रयास करने का मन बनाया। लगभग 15 दिन बाद करमा के महिलाओं ने भी  उनका घर जाकर एवं दवाब बनाकर अपना पैसा वापस प्राप्त किया। इन दोनों गांवों के महिलाओं द्वारा अपने ठगे हुए पैसे की खबर से पुरूष यानि पति लोग भी खुष हैं। इस खबर से आस-पास के गांवों की महिलाओं में एक चेतना का विकास हुआ है। जहां की महिलाएं ठगी का षिकार हुई हैं वे भी दवाब बनाकर अपना पैसा वापस पाने के लिए प्रयास कर रहे है। इस पूरे अभियान में दलित अधिकार सुरक्षा मंच के बसंती देवी, क्रेज के मेरियन सोरेन का अहम भूमिका रही।
 -विजय राम

बाल संसद के सदस्यगण एक थाली भात लेकर डीसी कार्यालय पहुंचे. बाल संसदों ने मध्यान भोजन में गड़बड़ी को सुधारा


कोडरमा जिलान्तर्गत नावाडीह पहरी में उत्क्रमित मध्य विधालय है। जिला मुख्यालय से महज 10 किमी की दूरी पर यह विधालय अवस्थित है। यहां बीते दिनों क्रेज एवं समर्पण के सहयोग से बाल संसद का गठन किया गया। सदस्यों को प्रषिक्षित किया गया। हक, अधिकारों और कर्तव्यों से उन्हें वाकिफ कराया गया। सदस्यगण काफी जज्बाती और उत्साही हो गये। चुंकि, कहां उनका हक छीना जा रहा है, उन्हें मालूम हो गया। फिर क्या था कि उनलोगों ने अपने विधालय की व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया। विधालय में कई गड़बडि़यां थी, जैसे-षिक्षक का समय पर नहीं आना, डेस्टर से फेंककर बच्चों को मारना, कच्चा-पक्का भोजन मध्यान भोजन में देना, कभी सब्जी तो कभी दाल नहीं मिलना, रूटिंग के अनुसार प-सजय़ाई नहीं होना, स्कूल में खेल सामग्री का नहीं होना इत्यादि। बाल संसद के सदस्यगण क्रेज के 26 इंडिकेटर से भी अवगत हो गये थे। तर्क-ंउचयबहस में बच्चे हिस्सा लेने लगे थे। गड़बडि़यों को बेबाक तरीके से रखने लगे थे चाहे वह बात अध्यक्ष के खिलाफ हो या फिर हेडमास्टर के खिलाफ। बच्चों के इस प्रक्रिया से पारा षिक्षक खुष थे लेकिन, अध्यक्ष और हेडमास्टर खुष नहीं थे। चुंकि, गड़बड़ी उन्हीं के तरफ से था।  
सांसदों द्वारा लगातार कहने पर स्कूल के सभ गड़बडि़यों में थोड़ी-बहुत सुधार तो हुआ लेकिन, मध्यान भोजन की स्थिति में सुधार नहीं हुआ बहुत कहने के बाद भी। बच्चे उब गये थे ऐसे घटिया भोजन खाते-ंउचयखाते। 01 अप्रैल 2012 को बाल संसद की एक बैठक बुलायी गयी। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यहां चिल्लाने या कहने से स्थिति में सुधार होने वाला नहीं है। रोज-रोज यही और ऐसा ही भोजन करना पडेगा। दिनांक 03 अप्रैल 2012 को आखिरकार वही हुआ जो होना चाहिए था। हुआ यूं कि बाल संसद के सदस्यगण को ज्योंही एक बजे मध्यान भोजन मिला, भोजन तो रोज की ही तरह था। प्रधानमंत्री पंकज कुमार के नेतृत्व में 10 छात्र की एक टीम एक थाली भोजन लेकर सीधे उपायुक्त श्री षिव शंकर तिवारी के पास चले आये। ग्रामीणों और अभिभावकों को ज्योंही इस बात का पता चला त्योंही, 5-6 अभिभावक भी पीछे-पीछे दौड़े आये। उन्हें इस बात का भय था कि पता नहीं हमारे बच्चे क्या से क्या कर डालेंगे। अभिभावकों ने समाहरणालय के समक्ष बच्चों को रोकने का भी प्रयास किया। बच्चों ने कहा-मामला हमारे विधालय का है, रोज-रोज भुगतते हमलोग हैं इसलिए इसका निदान हमीं लोग करेंगे। हम कोई गुनाह नहीं करने आये हैं बल्कि, वस्तुस्थिति से अवगत कराने आये हैं जिला प्रषासन को, कि हमलोगों को कैसा भोजन मिलता है। ऐसे भोजन खाकर हमलोगों का कितना भला हो पायेगा। अभिभावकों को भी लगा बच्चों का यह कदम एकदम ठीक है। फिर क्या था, बच्चों ने एक आवेदन तैयार किया और एक थाली भात के साथ आवेदन लेकर सीधे उपायुक्त के कक्ष में प्रवेष कर गये। 10 बच्चों का -हजयुण्ड़ और साथ में एक थाली भात देखकर उपायुक्त अचरज में पड़ गये। उन्होंने प्यार से पूछा थाली में क्या है। बच्चों ने बड़ी सहज तरीके से कहा कि सर! हमलोग पिछले 6 माह से मध्यान भोजन में कुछ ऐसा ही भोजन मिल रहा है। अध्यक्ष (श्री देवेन्द्र दास) और हेडमास्टर (श्री कामेष्वर प्रसाद यादव) को कहते-ंउचयकहते थक गये, स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो लचारी में हमलोगों को आपके पास आना पड़ा। उपायुक्त महोदय ने बच्चों का हौंसला ब-सजय़ाते हुए कार्रवाई करने का अष्वासन दिया।
उपायुक्त श्री षिव शंकर तिवारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच व तत्काल कार्रवाई करने का जिम्मा जिला षिक्षा अधीक्षक को सौंप दिया। जिला षिक्षा अधीक्षक अपने एक टीम के साथ दूसरे दिन नावाडीह पहरी स्कूल पहुंचे। बात सच निकली। उन्होंने माता समिति को भंग कर दिया और अध्यक्ष और सचिव सह प्रधानाध्यापक को कड़ी डांट पिलायी। उन्होंने बच्चों को सही और बेहतर भोजन उपलब्ध कराने का निदेष दिया।
तब से लेकर आज तक मध्यान भोजन में कोई गड़बड़ी का षिकायत नहीं मिला है। इस घटना से विधालय के प्रधानाध्यापक एवं अध्यक्ष को काफी नराजगी है वहीं, अन्य षिक्षकों एवं अभिभावकों में खुषी है। सबों ने बाल संसद के सदस्यों को शाबषी दिया।
यह पूरा घटनाक्रम दूसरे दिन अखबार में छपी। खबर छपने से और उचित कार्रवाई होने से बच्चों मेें आत्मविष्वास और खुषी में काफी ब-सजय़ोतरी हुई। इस बेहतर कार्य को अंजाम देने वालों में पंकज कुमार ठाकुर, बलराम कुमार, अजय कुमार, अरविंद कुमार, राहित कुमार, छोटन यादव, प्रदीप यादव, जितंेद्र कुमार, बिरजू यादव आदि का नाम शामिल है। बच्चों द्वारा फोन पर बुलाये जाने पर उपायुक्त से मिलने जाने वक्त बच्चों के साथ समर्पण के सचिव इन्द्रमणि एवं क्रेज के तुलसी कुमार शामिल हुए थे।
 -विजय राम
                               

गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करनेवाले परिवार के बच्चों को गुणवतापूर्ण षिक्षा देने की गरज से लाया गया है आरटीई 2009

Jharkhand में निःषुल्क एवं अनिवार्य षिक्षा अधिकार अधिनियम एक अप्रैल 2010 से लागू हो गया है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करनेवाले परिवार के बच्चों को गुणवतापूर्ण षिक्षा देने की गरज से यह अधिनियम लाया गया है। जिसे निःषुल्क एवं अनिवार्य षिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि षिक्षा को मौलिक अधिकार बने हुए तीन साल से ज्यादा वक्त बीच चुका है। लेकिन, अभी भी यह अधिकार जमीन पर उतरता दिख नहीं रहा है। और तो और, आरटीई के मानकों के अनुरूप देष के 95 फीसदी स्कूलों में कोई संरचना नहीं है। कानून लागू होने के बाद कुछ प्रगति जरूर हुई है पर यह काफी नहीं है। इस कानून के मुताबिक हर स्कूल में जितनी कक्षा उतने षिक्षक और प्रधानाध्यापक के लिए कार्यालय होना चाहिए। साथ ही, स्कूल का भवन सभी मौसम के लिए उपयुक्त होना चाहिए। कानून के मुताबिक स्कूल में छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, एक खेल का मैदान, समुचित पाठ्य सामग्री से युक्त एक पुस्तकालय, बिजली, कम्प्यूटर इत्यादि की सुविधा इत्यादि होनी चाहिए। इसके लिए जिला षिक्षा अधीक्षक को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। लेकिन, उनके स्तर से अभी तक इसके अनुपालन के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया गया है। ग्राम षिक्षा समिति को भंग किये बगैर जैसे-तैसे और आनन-फानन में लगभग सभी विधालयों में स्कूल प्रबंधन समिति का गठन जरूर कर लिया गया है। इस समिति के सदस्यों का कार्यषाला के जरिए उन्मुखीकरण भी लगभग सभी जिलों किया गया है। यह महज पैसे खर्च करने के उद्देष्य से किया गया। व्यवहार में अभी भी ग्राम षिक्षा समिति ही सक्रिय और विधालयों पर हावी है। सच्चाई यह भी है कि विधालय के प्रधानाध्यापक उक्त दोनों समितियों के चक्कर में पिसे जा रहे हैं।
आखिर इस परिस्थिति में सबको षिक्षा और समान षिक्षा का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य षिक्षा देने वाले षिक्षा अधिकार कानून को संवैधानिक रूप से वैध ठहरा कर सारे भ्रम को दूर कर दिया है। कोर्ट ने सरकारी, सहायता प्राप्त तथा बगैर सहायता के चलने वाले स्कूलों को भी गरीब बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित करने का आदेष दिया है, सिर्फ गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों को इससे मुक्त रखा गया है। इस फैसले के बाद अब प्राइवेट स्कूलों को गरीब तबके के बच्चों को अपने यहां दाखिला देना होगा। इसे एक बड़ी पहल कहा जा सकता है। इससे न सिर्फ गरीब बच्चों के लिए षिक्षा के दरवाजे खुलेंगे, बल्कि यह षिक्षा के क्षेत्र में मौजूद अमीर और गरीब के बीच की खाई एक हद तक मिटेगा। प्राइवेट स्कूल अभी भी इस कानून पर ऐतराज जताते हैं। जाहिर है मुनाफे के गणित पर चलने वाले निजी संस्थानों को यह फैसला आर्थिक रूप से नुकसानदेह लग रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले के माध्यम से प्राईवेट स्कूलों को सामाजिक जवाबदेही का भी एहसास कराया है। सभी को गुणात्मक षिक्षा मुहैया कराने के लिए यह कदम ही काफी नहीं है। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को कमर कसकर आगे आना होगा। इसके लिए स्कूलों में पर्याप्त संरचनाओं का बंदोवस्त करना पड़ेगा। हालांकि, इसके लिए समय बहुत कम है। कानून के मुताबिक 
- इन्द्रमणि साहू