Wednesday, June 17, 2015

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन को लेकर जागरूकता अभियान

संस्था समर्पण  की ओर से चलाये जा रहे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन को लेकर जागरूकता अभियान का आज चेहाल में समापन हो गया। समर्पण के टीम ने जिले के 30 असघन गांवों में जा-जाकर नुक्कड़ नाटक
के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। समर्पण के कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिषन के तहत मिलने वाली सुविधाओं एवं स्वयं सहायता समूह से जुड़ने, सरकारी लाभ योजनाओं का लाभ उठाने आदि के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधियों का विषेष सहयोग रहा। 

कोडरमा में स्कूलपूर्व षिक्षा प्रणाली को लेकर जिलास्तरीय कार्यषाला का आयोजन

संस्था समर्पण  की ओर से  वर्णवाल सेवा सदन, कोडरमा में स्कूलपूर्व षिक्षा प्रणाली को लेकर जिलास्तरीय कार्यषाला का आयोजन किया गया। कार्यषाला में विभिन्न क्षेत्रों के आंगनबाड़ी सेविका, पंचायत जनप्रतिनिधि, महिला मंडल के सदस्य, षिक्षाप्रेमी के अलावे संस्थाकर्मियों ने भी भाग लिया।
कार्यषाला का विषय प्रवेष कराते हुए संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों को स्वस्थ्य एवं पोषण के साथ-साथ बच्चों को षिक्षा के लिए प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जहां बच्चों को स्कूल जाने से पहले की तैयारी किया जाता है। बच्चों को खेल-कूद एवं मनोरंजन के माध्यम से गिनती, वर्णमाला आदि का ज्ञान दिया जाता है। ताकि, बच्चे 6 साल के बाद वह स्कूल के वातावरण में सही सलामत शामिल होकर षिक्षा हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि संस्था समर्पण ने बसधरवा एवं सलैयडीह गांव का स्कूल एवं आंगनबाड़ी को गोद लेने एवं उसे माॅडल बनाने का निर्णय लिया है।
अधिवक्ता षिवनंदन कुमार शर्मा ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आनंददायी षिक्षा की व्यवस्था एवं आनंददायी षिक्षा के प्रति सेविकाओं में समझ की कमी है। सेविकाओं को चाहिए कि वे अपने नाम के अनुरूप बच्चों के लिए विषेष अभिरूचि लें और अपने सेंटर पर एक अध्ययन तालिका रखकर खेल-खेल में बच्चों को सीखायें।
अधिवक्ता रीना शर्मा ने कहा कि 3 से 5 साल के बच्चों को षिक्षा से लैस करने की जबाबदेही जितना सेविका का है उससे कहीं उनके अभिभावकों का है या होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका बच्चों के लिए दूसरी मां स्वरूप है।
कार्यषाला में 3 से 5 आयुवर्ग के बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने के लिए अभिभावकों को जागरूक करने, आंगनबाड़ी के बेहतर संचालन के लिए माॅनिटरिंग हो इसके लिए सरकारी तंत्र पर दबाव बनाने, आंगनबाड़ी केंद्र में भी अंडा व फल की व्यवस्था करने, सेविकाओं के लिए विषेष प्रषिक्षण देने एवं नर्सरी षिक्षण काॅर्स अनिवार्य करने, संसाधन बढ़ाने एवं संसाधनों का सदुपयोग हो इसके लिए अभिभावकों को आगे लाने आदि निर्णय लिये गये। इससे संबंधित एक मांग पत्र सरकार को सौंपे जाने का भी निर्णय लिया गया।
धन्यवाद ज्ञांपन पंसस गणेष दास ने किया।