Wednesday, August 24, 2016

जिलास्तरीय क्षमतावर्द्धन कार्यशाला का आयोजन....

संस्था समर्पण एवं फेम झारखंड की ओर से स्थानीय वर्णवाल सेवा सदन में एकदिवसीय जिलास्तरीय क्षमतावर्द्धन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बाल अधिकारों के संरक्षण में पुरूषों की जिम्मेदार पिता के रूप में भूमिका पर विशेष चर्चा किया गया।
प्रशिक्षक स्वरूप ज्ञान विज्ञान समिति के असीम सरकार ने बाल अधिकारों एवं महिला हिंसा के स्वरूपों की जानकारी देते हुए कहा कि एक पुरूष या पिता की भुमिका सिर्फ पैसा कमाना, संसाधन जुगाड़ करना या घर-परिवार में अनुशासन बनाए रखना नहीं है बल्कि उनकी जबावदेही व जिम्मेदारी बच्चों व महिलाओं को सम्मान देना व सहयोग करना भी है। उन्होंने कहा कि हम एक तरफ कुंवारी लड़कियों को पूजते हैं तो दूसरी तरफ कुचलने का भी काम करते हैं। समाज में नगद  कमाने वाले को महत्व दिया जाता है जबकि, महिलाएं दिन-रात बच्चों व हम पुरूषों को सेवा देते हैं फिर भी हम उन्हें उतना महत्व नहीं देते हैं।
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने समझदार जोड़ी एवं जिम्मेदार पिता के सिद्धांत पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पिता का मतलब आज बच्चों के मन में डर पैदा करने वाला शब्द हो गया है। जबकि, एक पिता को अपने घर के महिलाओं, पत्नी व बच्चों के बीच भावनात्मक तरीके से भी वजूद कायम करने की जरूरत है। उन्होंने बाल अधिकारों से संबंधित कानूनों व नीतियों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सुरक्षित बचपन देने के लिए हम परूषों को अपनी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। उन्होंने भेदभाव रहित व हिंसा मुक्त परिवार व समाज बनाने के लिए समाज को आगे आने की बात कही।
मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार से जुड़े बालेश्वर राम ने कहा कि हिंसा व भेदभाव एक सामाजिक समस्या है और इसका समाधान कानून से नहीं, बल्कि समाजिक पहल से संभव है।
अधिवक्ता राजकुमार शर्मा ने कहा कि आज बच्चे भावनात्मक रूप से भी शोषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर समानता कायम करना अतिआवश्यक है। महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों को भी इसके लिए आगे आने की जरूरत है।
मौके पर गाये गये गीत ‘‘ सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नशाद है, दिल पर रखकर हाथ कहिये देश क्या आजाद है.......‘‘ एवं ‘‘ ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के, अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के....‘‘ काफी प्रभावकारी रहा। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों ने बाल अधिकारों को सुनिश्चत करने एवं महिला हिंसा की रोकथाम के दिशा में पुरूषों की भुमिका को लेकर रणनीति बनाई गयी।

Tuesday, August 9, 2016

कोडरमा में प्रारंभ हुआ चाइल्डलाइन

चाइल्डलाइन.1098 भारत सरकार के सहयोग से 24 घंटे चलनेवाली निःशुल्क आपातकालीन फोन व पहुंच सेवा है। यह उन बच्चों के लिए है जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है। जब कभी भी आपको कोई बच्चा मानसिक, आर्थिक, शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से शोषित व प्रताड़ित होता हुआ दिखे तो फोन करें 1098। जब बाल विवाह हो, बाल श्रम कराया जा रहा हो, बाल यौन शोषण के शिकार हो रहा हो या उन्हें न्याय की जरूरत हो, बाल व्यापर या बाल पलायन हो रहा हो या होने वाला हो, कोई बच्चा बीमार और अकेला हो, किसी बच्चे को आश्रय की जरूरत हो, कोई बच्चा छूट गया हो या गुम हो गया हो, कोई बच्चा पिट रहा हो, काम करवा कर बच्चे को उसकी मजदूरी न दी गयी हो, रास्ते पर किसी बच्चे का उत्पीड़न हो रहा हो, कानूनी विवाद में उलझे हुए हों, शिक्षा या विधालय संबंधी समस्या से बच्चे प्रभावित
हों, आपदा में बच्चे फंसे हों.........................तो आप फोल करें 1098।

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर सामुदायिक बैठक

Domchanch के mica -mines area Dhorakola के Futalahiya गाँव में विश्व आदिवासी दिवस के
मौके पर सामुदायिक बैठक.......... जल, जंगल, जमीन, जानवर, जज्बात और संस्कृति की रक्षा करने का निर्णय.........

मीनू के हिसाब से मिलने लगा है अब बच्चो को भोजन



Domchanch के mica-mines area जंगल क्षेत्र में बसे पंचायत बंगाखलार के school के बच्चे अब साबुन से हाथ धोने
के बाद ही खाना खाते हैं और कतार में बैठकर .....  मीनू के हिसाब से मिलने लगा है अब बच्चो को भोजन................

बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि

समर्पण के प्रयास से Domchanch के mica-mines area Dhab के Ghatwari Tola स्थित
school में बच्चों की उपस्थिति में लगातार वृद्धि........ सभी बच्चे अब uniform में एव नये दरी पर............

One day meeting among anganbari sevika, Sahiyika and Sahiya

one day meeting organized among aanganbari sevika, sahayika and sahiya at Pathaldiha and
discussed on the issues of immunization, bread feeding, institutional delivery, distribution of bleaching powder, call at tall free no 1098, health for all children etc......