Saturday, July 26, 2014

बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर प्रखंडस्तरीय प्रषिक्षकों का प्रषिक्षण षिविर का आयोजन

समर्पण एवं फेम झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में  बाल अधिकारों के संरक्षण में पुरूषों की जिम्मेदार पिता के रूप में भूमिका को लेकर प्रखंडस्तरीय प्रषिक्षकों का प्रषिक्षण षिविर का आयोजन किया गया। 
प्रषिक्षक आषीष कुमार एवं ओमप्रकाष सिंह ने सभी प्रतिभागियों को बाल अधिकारों की जानकारी देते हुए कहा कि एक पुरूष या पिता की भुमिका सिर्फ पैसा कमाना, संसाधन जुगाड़ करना या घर-परिवार में अनुषासन बनाए रखना नहीं है बल्कि उनकी जबावदेही व जिम्मेदारी इससे इतर भी है। उन्होंने कहा कि पिता का मतलब आज बच्चों के मन में डर पैदा करने वाला शब्द हो गया है। जबकि, एक पिता को अपने घर के महिलाओं, पत्नी व बच्चों के बीच भावनात्मक तरीके से भी वजूद कायम करने की जरूरत है। उन्होंने बाल अधिकारों से संबंधित कानूनों व नीतियों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि घर हो या बाहर आज महिलाएं व बच्चे कहीं सुरक्षित नहीं हैं। उनके सुरक्षित बचपन व जिंदगी देने के लिए हम परूषों को अपनी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। उन्होंने भेदभाव रहित व हिंसा मुक्त परिवार व समाज बनाने के लिए समाज को आगे आने की बात कही। 
मौके पर संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि हिंसा व भेदभाव एक सामाजिक समस्या है और इसका समाधान कानून से नहीं, बल्कि समाजिक पहल से संभव है। उन्होंने कहा कि आज बच्चे शारीरिक शोषण होने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी शोषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर समानता कायम करना अतिआवष्यक है। महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों को भी इसके लिए आगे आने की जरूरत है। 
षिविर में मुख्य रूप से नारायण शर्मा, सुनिता देवी, बसंती देवी, मेरियन सोरेन, पारा षिक्षक विजय कुमार, जागेष्वर दास, विजय राम, श्रीराम किसान क्लब के अध्यक्ष भुवनेष्वर यादव आदि नेे भाग लिया।


Wednesday, July 9, 2014

जैविक, जीवंत और सतत खेती के लिए रासायनिक खाद के बजाय वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद का अत्यधिक प्रयोग करना जरूरी

जयनगरः 9 जूलाई। स्वयंसेवी संस्था समर्पण ke तत्वावधान में बड़की लेढि़या में श्रीराम किसान क्लब के सदस्यों के साथ एकदिवसीय एक्सपर्ट मिट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यरूप से कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक मनीष कुमार, कानूनी सहायता केंद्र गोहाल के प्रभारी बालेष्वर राम, संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू आदि उपस्थित थे। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक मनीष कुमार ने कहा कि जैविक, जीवंत और सतत खेती के लिए रासायनिक खाद के बजाय वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद का अत्यधिक प्रयोग करना जरूरी है। उन्होंने अत्यधिक फसल के लिए सबसे पहले मिट्टी का परीक्षण करने, फसल और उर्वरक के किस्मों के चयन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बदलते समय के अनुसार खेती करने का ढंग भी हमलोगों को बदलना जरूरी है। उन्होंने श्रीविधी से खेती करने की सलाह दी। 
बालेष्वर राम ने मनरेगा के अंतर्गत कृषि संबंधी योजनाओं व इसके फायदों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मनरेगा गांव में खुषहाली और हरियाली लाने के लिए एक कारगर योजना है। इसके तहत बागवानी, मत्स्य पालन, कीट पालन, सड़क, डेयरी, पशुपालन, वानिकी, कृषि और भूमि विकास जैसे तालाब, कुंआ निर्माण आदि सब जुड़ा हुआ है। यदि सही-सही क्रियान्वयन किया गया तो गांव से पलायन होना बंद हो जायेगा। मौके पर उन्होंने अन्य कई कानूनों और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। 
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि किसान वही है जो हर चीज में मुनाफा का ख्याल करे। उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन, मतस्य, उघान, डेयरी, बानगी और जगने से लेकर सोने तक जो क्रियाएं किसानों द्वारा की जाती है सभी खेती के अंतर्गत है। उन्होंने कहा कि कम पूंजी, कम लागत, कम श्रम, कम संसाधन और और कम पानी पर आधारित खेती के तरीकों को सीखना जरूरी है। इसलिए कृषि वैज्ञानिकों और अनुभवी लोगों को गांव-गांव में लाने और सोच बदलने का कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है।