Tuesday, June 11, 2013

बाल संसद के सदस्यगण एक थाली भात लेकर डीसी कार्यालय पहुंचे. बाल संसदों ने मध्यान भोजन में गड़बड़ी को सुधारा


कोडरमा जिलान्तर्गत नावाडीह पहरी में उत्क्रमित मध्य विधालय है। जिला मुख्यालय से महज 10 किमी की दूरी पर यह विधालय अवस्थित है। यहां बीते दिनों क्रेज एवं समर्पण के सहयोग से बाल संसद का गठन किया गया। सदस्यों को प्रषिक्षित किया गया। हक, अधिकारों और कर्तव्यों से उन्हें वाकिफ कराया गया। सदस्यगण काफी जज्बाती और उत्साही हो गये। चुंकि, कहां उनका हक छीना जा रहा है, उन्हें मालूम हो गया। फिर क्या था कि उनलोगों ने अपने विधालय की व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया। विधालय में कई गड़बडि़यां थी, जैसे-षिक्षक का समय पर नहीं आना, डेस्टर से फेंककर बच्चों को मारना, कच्चा-पक्का भोजन मध्यान भोजन में देना, कभी सब्जी तो कभी दाल नहीं मिलना, रूटिंग के अनुसार प-सजय़ाई नहीं होना, स्कूल में खेल सामग्री का नहीं होना इत्यादि। बाल संसद के सदस्यगण क्रेज के 26 इंडिकेटर से भी अवगत हो गये थे। तर्क-ंउचयबहस में बच्चे हिस्सा लेने लगे थे। गड़बडि़यों को बेबाक तरीके से रखने लगे थे चाहे वह बात अध्यक्ष के खिलाफ हो या फिर हेडमास्टर के खिलाफ। बच्चों के इस प्रक्रिया से पारा षिक्षक खुष थे लेकिन, अध्यक्ष और हेडमास्टर खुष नहीं थे। चुंकि, गड़बड़ी उन्हीं के तरफ से था।  
सांसदों द्वारा लगातार कहने पर स्कूल के सभ गड़बडि़यों में थोड़ी-बहुत सुधार तो हुआ लेकिन, मध्यान भोजन की स्थिति में सुधार नहीं हुआ बहुत कहने के बाद भी। बच्चे उब गये थे ऐसे घटिया भोजन खाते-ंउचयखाते। 01 अप्रैल 2012 को बाल संसद की एक बैठक बुलायी गयी। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यहां चिल्लाने या कहने से स्थिति में सुधार होने वाला नहीं है। रोज-रोज यही और ऐसा ही भोजन करना पडेगा। दिनांक 03 अप्रैल 2012 को आखिरकार वही हुआ जो होना चाहिए था। हुआ यूं कि बाल संसद के सदस्यगण को ज्योंही एक बजे मध्यान भोजन मिला, भोजन तो रोज की ही तरह था। प्रधानमंत्री पंकज कुमार के नेतृत्व में 10 छात्र की एक टीम एक थाली भोजन लेकर सीधे उपायुक्त श्री षिव शंकर तिवारी के पास चले आये। ग्रामीणों और अभिभावकों को ज्योंही इस बात का पता चला त्योंही, 5-6 अभिभावक भी पीछे-पीछे दौड़े आये। उन्हें इस बात का भय था कि पता नहीं हमारे बच्चे क्या से क्या कर डालेंगे। अभिभावकों ने समाहरणालय के समक्ष बच्चों को रोकने का भी प्रयास किया। बच्चों ने कहा-मामला हमारे विधालय का है, रोज-रोज भुगतते हमलोग हैं इसलिए इसका निदान हमीं लोग करेंगे। हम कोई गुनाह नहीं करने आये हैं बल्कि, वस्तुस्थिति से अवगत कराने आये हैं जिला प्रषासन को, कि हमलोगों को कैसा भोजन मिलता है। ऐसे भोजन खाकर हमलोगों का कितना भला हो पायेगा। अभिभावकों को भी लगा बच्चों का यह कदम एकदम ठीक है। फिर क्या था, बच्चों ने एक आवेदन तैयार किया और एक थाली भात के साथ आवेदन लेकर सीधे उपायुक्त के कक्ष में प्रवेष कर गये। 10 बच्चों का -हजयुण्ड़ और साथ में एक थाली भात देखकर उपायुक्त अचरज में पड़ गये। उन्होंने प्यार से पूछा थाली में क्या है। बच्चों ने बड़ी सहज तरीके से कहा कि सर! हमलोग पिछले 6 माह से मध्यान भोजन में कुछ ऐसा ही भोजन मिल रहा है। अध्यक्ष (श्री देवेन्द्र दास) और हेडमास्टर (श्री कामेष्वर प्रसाद यादव) को कहते-ंउचयकहते थक गये, स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो लचारी में हमलोगों को आपके पास आना पड़ा। उपायुक्त महोदय ने बच्चों का हौंसला ब-सजय़ाते हुए कार्रवाई करने का अष्वासन दिया।
उपायुक्त श्री षिव शंकर तिवारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच व तत्काल कार्रवाई करने का जिम्मा जिला षिक्षा अधीक्षक को सौंप दिया। जिला षिक्षा अधीक्षक अपने एक टीम के साथ दूसरे दिन नावाडीह पहरी स्कूल पहुंचे। बात सच निकली। उन्होंने माता समिति को भंग कर दिया और अध्यक्ष और सचिव सह प्रधानाध्यापक को कड़ी डांट पिलायी। उन्होंने बच्चों को सही और बेहतर भोजन उपलब्ध कराने का निदेष दिया।
तब से लेकर आज तक मध्यान भोजन में कोई गड़बड़ी का षिकायत नहीं मिला है। इस घटना से विधालय के प्रधानाध्यापक एवं अध्यक्ष को काफी नराजगी है वहीं, अन्य षिक्षकों एवं अभिभावकों में खुषी है। सबों ने बाल संसद के सदस्यों को शाबषी दिया।
यह पूरा घटनाक्रम दूसरे दिन अखबार में छपी। खबर छपने से और उचित कार्रवाई होने से बच्चों मेें आत्मविष्वास और खुषी में काफी ब-सजय़ोतरी हुई। इस बेहतर कार्य को अंजाम देने वालों में पंकज कुमार ठाकुर, बलराम कुमार, अजय कुमार, अरविंद कुमार, राहित कुमार, छोटन यादव, प्रदीप यादव, जितंेद्र कुमार, बिरजू यादव आदि का नाम शामिल है। बच्चों द्वारा फोन पर बुलाये जाने पर उपायुक्त से मिलने जाने वक्त बच्चों के साथ समर्पण के सचिव इन्द्रमणि एवं क्रेज के तुलसी कुमार शामिल हुए थे।
 -विजय राम
                               

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