Tuesday, September 16, 2014

निर्णय की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने, स्कूल को बेहतर करने एवं बच्चों को मुखर और काबिल बनाने के लिए बाल संसद का आयोजन

बाल अधिकार जागरूकता अभियान अंतर्गत संस्था समर्पण के द्वारा पंचायत भवन लोकाई में प्रखंडस्तरीय बाल संसद का आयोजन किया गया। जिसमें इंदरवा एवं लोकाई पंचायत के विधालयों के बाल संसदों ने भाग लिया। संसदीय सत्र के दौरान संसदों ने मध्यान भोजन में गड़बड़ी व अनियमित होने, लोकाई स्कूल के चापानल के पास कीचड़ जमा होने, सलैयडीह एवं लोकाई सहित अन्य कई विधालयों में चहारदिवारी नहीं होने, आंगनबाड़ी के बच्चे सलैयडीह स्कूल में आ जाने, पुस्तक व पोषाक समय पर नहीं मिलने, स्कूलों में खेल सामग्री नहीं रहने, झाडू-डैस्क आदि खरीदने के लिए बच्चों से पैसे लेने, स्कूल कैंपस में जानवर बांधने, मध्यान भोजन करने से पहले साबून की व्यवस्था नहीं होने आदि कई सवाल उठाये गये। काफी चर्चा-विमर्ष के बाद बाल संसदों ने निर्णय लिया कि एक सप्ताह के अंदर यदि एसएमसी, मुखिया एवं प्रधानाध्यापक के स्तर से सवालों का हल नहीं किया गया तो उपायुक्त को लिखित ज्ञांपन सौंपा जायेगा।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने, बच्चों की सहभागिता से स्कूल को बेहतर करने एवं उन्हें मुखर और काबिल बनाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। 

वार्ड सदस्य विजय यादव ने बच्चों को लोकतंत्र में कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका एवं पत्रकारिता की महता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि स्कूल के अंदर की व्यवस्था भी कुछ  इसी तरह है या होना चाहिए। इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने एवं बाल अधिकारों के सरंक्षण के लिए ही बाल संसद का गठन किया गया है। उन्होंने सभी मंत्रियों एवं सांसदों की भुमिका पर विस्तार से चर्चा किया। 
मो0 निसार अहमद ने कहा कि मस्तिष्क ऐसा टेंक है जो कभी भरता नहीं है। सभी किताबों व ज्ञान को मस्तिष्क में रखना एवं ज्ञान को व्यवहार में उतारना चाहिए।धन्यवाद ज्ञांपन मेरियन सोरेन ने किया।

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