Monday, August 11, 2014

कोडरमा के बच्चों के लिए नहीं हो रहा है कोई सार्थक पहल, आंगनबाड़ी का संचालन भगवान भरोसे

-इन्द्रमणि साहू 
समेकित बाल विकास परियोजना के तहत 0-6 वर्ष के बच्चों के संर्पूण विकास, किषोरियों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को स्वस्थ रखने एवं समुचित पोषण आहार से युक्त करने की जिम्मेवारी सीडीपीओ की होती है। शुरूआती बालपन की देखरेख और पोषण संबंधी सरकार के सभी कार्यक्रम इसी के तहत संचालित होते हैं। बच्चों का ग्रोथ माॅनिटरिंग, कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें एमटीसी रेफर करना, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल सुलभ शौचालय की व्यवस्था करना, जनसंख्या के हिसाब से आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना कराना बाल विकास परियोजना की जबाबदेही होती है। लेकिन, कोडरमा का हाल ही कुछ ओर है। यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट विजय यादव (Koderma) ने एक बार फिर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कोडरमा पर आधा-अधूरा सूचना देने का आरोप लगाया है। उन्होंने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी मंजू रानी स्वांसी को एक पत्र लिखकर पूरी व सही सूचना दिलवाने की अपील की है। बताते चलें कि श्री यादव ने पिछले दिनों बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, कोडरमा से सूचनाधिकार अधिनियम 2005 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मषीन, कुपोषित बच्चों की संख्या, आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल सुलभ शौचालय की उपलब्धता व स्थिति, भाड़े पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों सूची, जनसंख्या के आधार पर और कितने आंगनबाड़ी केंद्रों की आवष्यकता संबंधी जानकारी मांग किया था। फिलहाल, जो सूचना मिला है वह अपने आप में चैकाने वाला है। वहीं कोडरमा के बच्चों के प्रति विभाग की सक्रियता का पोल खोलता है। 
कोडरमा में नहीं हो रहा है ग्रोथ माॅनिटरिंग- आंगनबाड़ी की 6 सेवाओं में से नियमित स्वास्थ्य जांच भी शामिल है। इसके तहत 6 साल के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं की आंगनबाड़ी केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा फ्री में नियमित स्वास्थ्य जांच एवं जरूरी दवाएं दी जानी है। नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान स्वास्थ्य कार्ड भी बनाया जाता है। इसमें हर बार वजन लेकर उसे अंकित किया जाता है। इस दौरान अगर किसी बच्चे में पोषण की कमी पायी जाती है या उसे बीमार पाया जाता है, तो उसे रेफरल सेवा दी जाती है। इसमें उसे अतिरिक्त पोषण तत्व, दवा आदि दिये जाने का प्रावधान है। जरूरत पड़ने पर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। ताकि, उसे हर हाल में कुपोषण और बीमारी से बचाया जा सके। लेकिन, कोडरमा में यह व्यवस्था पूरी तरी लचर हे। यहां कुल 168 आंगनबाड़ी केंद्र है। जिसमें से 9 जुलाई, 2007 को 117 आंगनबाड़ी केंद्रों को वजन मषीन उपलब्ध कराया गया था। फिलहाल, 11 आंगनबाड़ी केंद्रों को छोड़कर 106 आंगनबाड़ी केंद्रों पर वर्षो से वजन मषीन खराब है। शेष 51 आंगनबाड़ी केंद्र को आज तक वजन मषीन उपलब्ध ही नहीं कराया गया है। विभाग को इन सभी बातों की जानकारी है लेकिन, विभाग द्वारा नये वजन मषीन उपलब्ध कराने को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की है और न ही वजन मषीन को लेकर कभी उच्चाधिकारियों को कोई पत्र निर्गत किया गया है। ऐसे में बच्चों को ग्रोथ माॅनिटरिंग भला कैसे संभव है। पिछले दिनों राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डा0 सुनिता कत्यायन के कोडरमा विजिट कार्यक्रम में भी यह मामला उठा था और उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निदेष दिया था कि सभी केद्रों पर शीघ्र वजन मषीन उपलब्ध कराते हुए तरीके से आंगनबाड़ी का संचालन कराया जाय। लेकिन, निदेष का कोई प्रभाव आला-अधिकारियों पर नहीं पड़ा। 
सीडीपीओ कार्यालय में नहीं है कुपोषित बच्चों की अपडेट सूचीः वृन्दा निवासी विजय यादव ने कोडरमा प्रखंड के कुपोषित बच्चों की सूची वर्ष 2012 से लेकर अब तक की मांग की लेकिन, उन्हें 51 बच्चों को छोड़कर जो सूची उपलब्ध कराया गया है वह 2001 का है। 51 बच्चों की सूची में भी 20 बच्चों के माता-पिता का नाम नहीं है और न ही बच्चा का उम्र। ऐसे में सिर्फ बच्चों के नाम से स्पष्ट है कि बच्चा का नाम यूं ही लिख लिया गया है। 
कोडरमा में एक भी केंद्र में नहीं है बाल सुलभ शौचालयः नियमानुसार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बाल सुलभ शौचालय होना चाहिए। लेकिन, कोडरमा के एक भी आंगनबाड़ी केंद्र पर बाल सुलभ शौचालय नहीं है। सीडीपीओ को इस बात का पता होने के बाद भी उन्होंने अभी तक बाल सुलभ शौचालय के लिए कभी कोई पत्राचार नहीं किया है। ऐसे में, बाल अधिकारों और बाल स्वास्थ्य के प्रति अधिकारी कितने गंभीर हैं इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 
बच्चों के अनुपात में और कितने आंगनबाड़ी केंद्र की आवष्यकता है इसकी भी सूचना नहीं है सीडीपीओ कोः सुप्रीम कोर्ट के आदेषानुसार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन एवं सभी केंद्र सभी सुविधाओं से युक्त होना चाहिए। लेकिन, कोडरमा में ऐसा कुछ नहीं है। अभी भी यहां 168 आंगनबाड़ी केद्रों में से 48 केंद्र भाड़े पर संचालित है और 51 केंद्र का अपना भवन नहीं है। और तो और, जनसंख्या और बच्चों के अनुपात एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेषानुसार ओर कितने आंगनबाड़ी केंद्र की आवष्यकता है इसकी भी सूचना सीडीपीओ कार्यालय में नहीं है। सिर्फ आठ नये केंद्रों का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु भेजा गया है। इससे स्पष्ट है कि कोडरमा में बाल पंजी का निर्माण या बाल सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा हैं। 
इन सभी कमियों के बावजूद यदि यहां आंगनबाड़ी संचालित है तो संबंधित आला-अधिकारियों पर उंगली उठना स्वाभाविक है। 
आंगनबाड़ी के संचालन को बेहतर करने की मांग
इधर समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू ने आंगनबाड़ी की सभी 6 सेवाओं को दुरूस्त करने एवं आंगनबाड़ी के संचालन को बेहतर करने की मांग उपायुक्त एवं मंत्री अन्नपुर्णा देवी से की है।  

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