सेमिनार में भारी संख्या में नौजवान एवं महिलाएं उपस्थित थे। सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बालेष्वर राम ने कहा कि देष में हिंसाएं लगातार बढ़ रही हैं। घर हो या बाहर आज महिलाएं व बच्चे कहीं सुरक्षित नहीं हैं। उनके सुरक्षित बचपन व जिंदगी देने के लिए हम परूषों को अपनी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाना होगा। उन्होंने भेदभाव रहित व हिंसा मुक्त परिवार व समाज बनाने के लिए समाज को आगे आने की बात कही।
अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष मो0 गुलाम सरवर ने कहा कि हिंसा व भेदभाव एक सामाजिक समस्या है और इसका समाधान कानून से नहीं हो सकता बल्कि समाज के जरिए ही हो सकता है। जयप्रकाष यादव ने कहा कि बच्चे आज शारीरिक शोषण होने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी शोषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर समानता कायम करना अतिआवष्यक है। महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों को भी इसके लिए आगे आने की जरूरत है।
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने विषय प्रवेष कराते हुए कहा कि एक पुरूष या पिता की भुमिका सिर्फ पैसा कमाना, संसाधन जुगाड़ करना या घर-परिवार में अनुषासन बनाए रखना नहीं है बल्कि उनकी जबावदेही व जिम्मेदारी इससे इतर भी है। उन्होंने कहा कि पिता का मतलब आज बच्चों के मन में डर पैदा करने वाला शब्द हो गया है। जबकि, एक पिता को अपने घर के महिलाओं, पत्नी व बच्चों के बीच भावनात्मक तरीके से भी वजूद कायम करने की जरूरत है।
सेमिनार में मुख्य रूप से पंसंस रामदेव राम, वार्ड सदस्य राजकुमार सिंह, मंजू देवी, सुनिता देवी, बसंती देवी, सतीष मालाकार, कुसूम देवी, विजय राम, शबाना खातुन, रितू देवी, ममता सिंह, मनिषा सोनी, पुष्पा देवी, मजबून निषा, मीना देवी सहित करीब तीन दर्जन लोगों ने भाग लिया। संचालन प्रखंड समन्वयक आषीष कुमार एवं धन्यवाद ज्ञांपन राजेन्द्र प्रसाद सिंह सुमन ने किया।
अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष मो0 गुलाम सरवर ने कहा कि हिंसा व भेदभाव एक सामाजिक समस्या है और इसका समाधान कानून से नहीं हो सकता बल्कि समाज के जरिए ही हो सकता है। जयप्रकाष यादव ने कहा कि बच्चे आज शारीरिक शोषण होने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी शोषित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज में जेंडर समानता कायम करना अतिआवष्यक है। महिलाओं के साथ-साथ पुरूषों को भी इसके लिए आगे आने की जरूरत है।
संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू ने विषय प्रवेष कराते हुए कहा कि एक पुरूष या पिता की भुमिका सिर्फ पैसा कमाना, संसाधन जुगाड़ करना या घर-परिवार में अनुषासन बनाए रखना नहीं है बल्कि उनकी जबावदेही व जिम्मेदारी इससे इतर भी है। उन्होंने कहा कि पिता का मतलब आज बच्चों के मन में डर पैदा करने वाला शब्द हो गया है। जबकि, एक पिता को अपने घर के महिलाओं, पत्नी व बच्चों के बीच भावनात्मक तरीके से भी वजूद कायम करने की जरूरत है।
सेमिनार में मुख्य रूप से पंसंस रामदेव राम, वार्ड सदस्य राजकुमार सिंह, मंजू देवी, सुनिता देवी, बसंती देवी, सतीष मालाकार, कुसूम देवी, विजय राम, शबाना खातुन, रितू देवी, ममता सिंह, मनिषा सोनी, पुष्पा देवी, मजबून निषा, मीना देवी सहित करीब तीन दर्जन लोगों ने भाग लिया। संचालन प्रखंड समन्वयक आषीष कुमार एवं धन्यवाद ज्ञांपन राजेन्द्र प्रसाद सिंह सुमन ने किया।
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